Attari-Wagah Border: बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में बड़ा बदलाव, अब नहीं दिखाई देंगी ये पुरानी रस्में
punjabkesari.in Tuesday, May 20, 2025 - 04:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए तनाव और सैन्य कार्रवाई के बाद एक बार फिर सीमाओं पर सामान्य स्थिति लौटती दिख रही है। 10 मई को हुए सीजफायर के बाद अब एक बड़ा फैसला लेते हुए बीएसएफ ने ऐलान किया है कि अटारी-वाघा, हुसैनीवाला और फाजिल्का सीमाओं पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन फिर से शुरू किया जाएगा। हालांकि इस बार समारोह में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
क्या है बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी?
बीटिंग रिट्रीट भारत और पाकिस्तान के बीच 1959 से चली आ रही एक सैन्य परंपरा है, जिसमें दोनों देशों के जवान सीमा पर पूरे जोश और शौर्य के साथ राष्ट्रीय झंडा उतारते हैं। यह आयोजन न सिर्फ देशभक्ति का प्रतीक बन चुका है, बल्कि इसे देखने के लिए रोज़ हजारों लोग देश-विदेश से जुटते हैं।
For Godsake, end this beating retreat ceremony at Wagah-Attari border NOW! This is a mockery of not just the Indian Security Forces who have laid down life for the nation fighting Pakistani terrorists, but also civilians brutally killed by Pakistan deep state. End this drama! pic.twitter.com/PhTVrOqAiG
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) April 24, 2025
क्यों हुई थी सेरेमनी बंद?
7 मई से यह सेरेमनी अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। इसकी वजह बना जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर चलाया और 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस सैन्य कार्रवाई के बाद सीमाओं पर तनाव बढ़ गया था, जिसके चलते यह समारोह रद्द कर दिया गया था।
अब फिर से होगी शुरुआत – लेकिन बदले नियमों के साथ
बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, सेरेमनी तो दोबारा शुरू होगी, लेकिन इसमें अब पारंपरिक गर्मजोशी जैसे सीमा द्वार खोलना या पाकिस्तानी जवानों से हाथ मिलाना शामिल नहीं होगा। हालांकि, दर्शकों को पहले की तरह समारोह देखने की अनुमति दी गई है। यह कार्यक्रम हर शाम 6 बजे अमृतसर के अटारी, फिरोजपुर के हुसैनीवाला, और फाजिल्का के सादकी बॉर्डर पर आयोजित किया जाएगा।
क्यों खास है यह समारोह?
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राष्ट्रीय गर्व का प्रदर्शन: भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा तेज चाल, दमदार कदमताल और अनुशासन का प्रदर्शन।
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सांस्कृतिक पहचान: यह आयोजन दोनों देशों की सैन्य परंपरा और नागरिक उत्साह को एक मंच देता है।
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आर्थिक महत्व: सीमावर्ती गांवों की आजीविका पर्यटन और इस आयोजन पर निर्भर है। समारोह की वापसी से स्थानीय व्यापारियों और ग्रामीणों को राहत मिली है।
क्या फिर से होंगे मिठाइयों का आदान-प्रदान?
बीटिंग रिट्रीट के दौरान खास मौकों पर – जैसे ईद, दीवाली, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस – दोनों देशों के सैनिक पारंपरिक रूप से एक-दूसरे को मिठाइयां भेंट करते हैं। फिलहाल यह परंपरा फिलहाल सस्पेंड है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि संबंधों में सुधार के साथ यह सद्भाव फिर से लौटेगा।