अनोखी पहल: इस स्कूल में बच्चों से फीस के बदले लिया जाता है प्लास्टिक का कचरा

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2019 - 02:08 PM (IST)

गुवाहटी: पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बनते जा रहे प्लास्टिक के खिलाफ जहां इन दिनों एक मुहीम शुरू की गई वहीं असम का एक स्कूल है को इस समस्या से बड़े ही अनोखे ढंग से निपट रहा है। दरअसल यह स्कूल बच्चों से फीस के बदले प्लास्टिक का कचरा लेता है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने भी स्कूल की इस पहल की सराहना की है। परमिता शर्मा और माजिन मुख्तार ने उत्तर पूर्वी असम में पमोही नामक गांव में तीन साल पहले जब अक्षर फाउंडेशन स्कूल की नींव रकी तो उनके दिमाग में एक विचार आया कि बच्चों के परिजनों से फीस के बदले प्लास्टिक का कचरा देने के लिए कहेंगे।

 

वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक शर्मा और मुख्तार ने मिलकर विचार किया कि वे लोग बच्चों से एक सप्ताह में प्लास्टिक की कम से कम 25 वस्तुएं लाने का आग्रह करेंगे। हालांकि यह स्कूल चैरिटी है और डोनेशन से चलता है, लेकिन प्लास्टिक के कचरे की 'फीस' सामुदायिक स्वामित्वक की भावना को प्रोत्साहित करती है। स्कूल चलाने वाली संस्था का कहना कि प्लास्टिक मंगवाने से एक तो पर्यावरण को बचाने की मुहीम में हम अपना योगदान दे रहे हैं दूसरा बच्चों की बाल मजदूरी में कमी आती है और परिजन भी बच्चों को स्कूल भेजने में हिचक नहीं कते क्योंकि उनको फीस के बदले प्लास्टिक ही देना होता है।

 

वहीं स्कूल में बच्चों को यहां पढ़ने वाले छात्र ही पढ़ाते हैं। इससे एक तो उनको स्कूल नहीं छोड़ना पड़ता और दूसरा इसके लिए उनको रुपए भी दिए जाते हैं। जैसे-जैसे पढ़ाने वाले बच्चों की शिक्षा हाई होती जाती है उनका मेहनताना भी बढ़ता जाता है। यहां बच्चों को सौर पैनल स्थापित करना से लेकर लैंडस्केपिंग बिजनेस को चलाने और कम्प्यूटर आदि की भी शिक्षा दी जाती है जो उनके भविष्य में काम आए।


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Seema Sharma

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