सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफेरल)ने एक दुर्लभ उपलब्धि में, 8 वर्ष की बच्ची में नॉन सर्जिकल ट्रांसकैथेटर पल्मोनरी वाल्व सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया

punjabkesari.in Tuesday, Oct 31, 2023 - 01:08 AM (IST)

नेशनल डेस्क (रघुनंदन पराशर): एएफएमएस (सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा) ने अपनी उपलब्धियों की शृंखला में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जोड़ ली है। सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल), दिल्ली छवानी, नई दिल्ली में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी टीम ने जन्मजात हृदय से पीड़ित दो और बच्चों में कार्डियक (फुफ्फुसीय) वाल्व का दोष, कमर में एक छोटे से 'निक' के माध्यम से गैर-सर्जिकल ट्रांसकैथेटर प्रत्यारोपण किया।

यह लड़की, जिसकी उम्र 8 वर्ष है और वजन मात्र 28 किलोग्राम है, देश में विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र में इस गैर-सर्जिकल वाल्व प्रत्यारोपण से गुजरने वाली सबसे छोटी और कम उम्र की बच्ची है।यह जटिल उन्नत प्रक्रिया लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह, महानिदेशक, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस), जो सशस्त्र बलों के सबसे वरिष्ठ सेवारत बाल रोग विशेषज्ञ हैं, लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी, डीजीएमएस (सेना) और लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन, कमांडेंट, सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफेरल) के संरक्षण और सक्षम मार्गदर्शन में किया गया था। टीम ने पिछले एक वर्ष में अब तक पल्मोनरी वाल्व प्रत्यारोपण के 13 मामलों को सफलतापूर्वल संपन्न किया है, जो देश के दो सरकारी संस्थानों में सबसे ज्यादा है, जिन्होंने ऐसे मामले निपटाए हैं।

07 अक्टूबर 2022 को सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफेरल) की टीम द्वारा एएफएमएस में इस प्रक्रिया को शुरू किए जाने तक, कार्डियक (फुफ्फुसीय) वाल्व को ओपन हार्ट बाय-पास सर्जरी के माध्यम से बदला जाता था, जो न केवल बेहद दर्दनाक और बोझिल है और बीमारी तथा मृत्यु दर के साथ-साथ लंबे समय तक अस्पताल में रहने का भी गंभीर खतरा होता है। इस नवीन गैर-सर्जिकल प्रक्रिया के साथ, रोगी को शरीर पर किसी भी निशान के बिना हस्तक्षेप के बाद 2-3 दिनों के भीतर छुट्टी दे दी जाती है।

देश के सशस्त्र बलों और सरकारी क्षेत्र में इस अग्रणी अत्यधिक विशिष्ट गैर-सर्जिकल प्रक्रिया की शुरुआत एक बड़ा परिवर्तनकारी है और इसने वाल्व प्रतिस्थापन की आवश्यकता वाले कई बच्चों के लिए जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के साथ नए रास्ते खोल दिए हैं। यह बच्चों में उन्नत हृदय देखभाल प्रदान करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है और न केवल एएफएमएस के लिए बल्कि देश के अन्य सरकारी अस्पतालों के लिए एक नए युग की शुरुआत है, जो उन्हें एक नया और उच्च मंच प्रदान करता है।


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News Editor

Parveen Kumar

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