IIT बाबा के पास मिला गांजा फिर भी छोड़ दिए गए, जानें क्यों
punjabkesari.in Tuesday, Mar 04, 2025 - 10:24 AM (IST)

नेशनल डेस्क: जयपुर में मशहूर 'IIT बाबा' उर्फ अभय सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह बनी उनके पास से मिला गांजा। 3 मार्च को जयपुर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया, लेकिन कम मात्रा में गांजा मिलने के कारण उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कितना गांजा मिलने पर जेल हो सकती है और कितनी मात्रा में बेल मिल जाती है? नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट 1985 के तहत गांजा रखना, बेचना, खरीदना, उगाना और सेवन करना अपराध माना जाता है। इस कानून के तहत सजा की अवधि गांजे की मात्रा पर निर्भर करती है।
गांजे की मात्रा और सजा का गणित
NDPS एक्ट की धारा 20 के अनुसार गांजे की अलग-अलग मात्रा के आधार पर अलग-अलग सजा का प्रावधान है:
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कम मात्रा (1 किलोग्राम से कम) – 6 महीने से 1 साल तक की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना।
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व्यावसायिक मात्रा (1-20 किलोग्राम) – 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना।
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व्यापक तस्करी (20 किलोग्राम से अधिक) – 10 से 20 साल तक की जेल और 1 से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना।
क्या सिर्फ गांजा रखने पर सजा मिलती है?
गांजा रखने के साथ-साथ उसका सेवन करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इसके अलावा, गांजे की खेती करना और तस्करी करना भी कानूनी तौर पर प्रतिबंधित है। गांजा तस्करी के मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 20 साल तक की सजा हो सकती है।
NDPS एक्ट में अब तक कितनी बार हुआ बदलाव?
इस कानून में अब तक चार बार संशोधन किए गए हैं:
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1988 – पहली बार सख्त प्रावधान जोड़े गए।
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2001 – सजा को लेकर नए दिशानिर्देश बनाए गए।
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2014 – दवाइयों से जुड़े कुछ बदलाव किए गए।
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2021 – एनडीपीएस एक्ट में कई सुधार लाए गए।
बॉलीवुड और NDPS एक्ट
यह एक्ट तब और चर्चा में आया जब 2020 में बॉलीवुड से जुड़े कई सितारों पर इसके तहत मामले दर्ज किए गए। इसमें रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शौविक चक्रवर्ती और बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।
IIT बाबा को क्यों मिली बेल?
'IIT बाबा' के पास से केवल डेढ़ ग्राम गांजा मिला था, जो NDPS एक्ट के अनुसार बहुत कम मात्रा मानी जाती है। इसी वजह से उन्हें तुरंत जमानत मिल गई। आमतौर पर, कम मात्रा में गांजा मिलने पर बेल मिलने की संभावना अधिक होती है, बशर्ते कि व्यक्ति पर अन्य गंभीर आरोप न हों।