अगर हवा में टकरा जाएं दो परमाणु मिसाइलें तो तबाही का मंजर कैसा होगा?

punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 02:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: साल 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे एटम बम ने दुनिया को यह समझा दिया कि परमाणु युद्ध का अंजाम सिर्फ मौत और विनाश होता है। समय बदला, तकनीक बढ़ी लेकिन परमाणु हथियारों का डर आज भी वैसा ही है। रूस, अमेरिका, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देश अब आधुनिक और अधिक विनाशकारी परमाणु मिसाइलों से लैस हैं। ऐसे में एक सवाल अकसर दिमाग में आता है  अगर दो परमाणु मिसाइलें हवा में एक-दूसरे से टकरा जाएं तो क्या होगा? क्या ये टकराव भी उतनी ही तबाही ला सकता है जितनी कोई परमाणु हमला? आइए जानते हैं विस्तार से।

परमाणु बम कैसे गिराया जाता है?

1. बमवर्षक विमान से हमला:
दूसरे विश्व युद्ध में जापान पर परमाणु बम B-29 बमवर्षक विमानों के जरिए गिराए गए थे। यह तरीका आज भी कुछ हद तक प्रासंगिक है, लेकिन आधुनिक सुरक्षा प्रणाली इसे रोकने में सक्षम है।

2. मिसाइलों के जरिए:
अब परमाणु हथियार लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों में लगाए जाते हैं। ये ज़मीन, हवा या पनडुब्बियों से लॉन्च की जा सकती हैं और कई हजार किलोमीटर दूर तक टारगेट को नष्ट कर सकती हैं।

3. पनडुब्बी से:
सबमरीन से छोड़ी गई परमाणु मिसाइलें दुश्मन को चौंका देती हैं क्योंकि इन्हें ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है। ये तकनीक खासतौर पर अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास है।

अगर हवा में टकरा जाएं दो परमाणु मिसाइलें तो क्या होगा?

यह सवाल जितना अजीब लगता है, उतना ही गंभीर भी है। मिसाइलों की टक्कर का परिणाम उनकी बनावट, फ्यूल और हथियार प्रणाली पर निर्भर करता है। आइए तीन संभावनाएं समझते हैं:

1. समय से पहले विस्फोट का खतरा:

अगर मिसाइलों में लगे परमाणु बम एक्टिव स्टेट में हैं, तो टकराव से वे समय से पहले फट सकते हैं। इससे आसमान में ही परमाणु विस्फोट हो सकता है। ऐसा विस्फोट हाई-एल्टीट्यूड न्यूक्लियर एक्सप्लोजन कहलाता है, जिससे रेडिएशन दूर-दूर तक फैलता है।

2. सीमित लेकिन खतरनाक विस्फोट:

कुछ मामलों में बम पूरी तरह से एक्टिवेट नहीं होता। ऐसे में विस्फोट सीमित हो सकता है लेकिन फिर भी इतना घातक होगा कि बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती है, खासकर अगर यह शहर या आबादी के ऊपर हुआ हो।

3. रेडिएशन का व्यापक प्रभाव:

अगर विस्फोट होता है तो उसका रेडिएशन सेकड़ों किलोमीटर तक फैल सकता है। यह सिर्फ जानमाल का नुकसान नहीं करता बल्कि लंबे समय तक पर्यावरण, जमीन, पानी और हवा को ज़हरीला बना देता है।

क्या ऐसा कभी हुआ है?

अब तक इतिहास में दो परमाणु मिसाइलें आपस में टकराई नहीं हैं। लेकिन कोल्ड वॉर के दौर में कई बार ऐसे हादसे होने के कगार पर पहुंचे थे, जब एक देश की मिसाइल सिस्टम को दूसरे देश का हमला समझ लिया गया था। आज की तकनीक मिसाइलों को ट्रैक और इंटरसेप्ट करने में सक्षम है, लेकिन ‘दो परमाणु मिसाइलों का आमना-सामना’ अब भी बेहद डरावना विचार है।

परमाणु हमले की तुलना में ये कितना खतरनाक है?

हवा में टकराव से हुआ विस्फोट उतना शक्तिशाली नहीं होगा जितना ज़मीन या शहर के ऊपर छोड़े गए परमाणु बम से होता है। लेकिन इसकी अप्रत्याशितता और रेडिएशन फैलाव इसे खतरनाक बनाता है। यह तकनीकी गलती या युद्ध के दौरान हुई गड़बड़ी का भयानक उदाहरण बन सकता है।

हवा में हुए विस्फोट का असर जमीन पर कैसे होता है?

  • ब्लास्ट वेव: तेज धमाका जमीन तक पहुंचता है जिससे बिल्डिंगें गिर सकती हैं।

  • ईएमपी (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स): इससे संचार प्रणाली, बिजली और सैटेलाइट तक फेल हो सकते हैं।

  • रेडिएशन: हवा, पानी और मिट्टी में जहर फैल सकता है, जिससे इंसान और जानवरों की नस्लें प्रभावित हो सकती हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Ashutosh Chaubey

Related News