अगर भारत में आए रूस जैसा 8.8 तीव्रता का भूकंप, तो कितनी तबाही मचेगी? जानें किन हिस्सों पर सबसे ज्यादा खतरा
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 07:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: रूस में हाल ही में आया 8.8 तीव्रता का भूकंप वहां के कई हिस्सों को हिलाकर रख गया। कई इमारतें जमींदोज हो गईं और पहाड़ों के हिस्से खिसककर समुद्र में गिर पड़े। इसके बाद आई सुनामी ने हालात और बिगाड़ दिए। केवल रूस ही नहीं, जापान में भी अलर्ट जारी किया गया और करीब 20 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
अब सवाल यह उठता है कि अगर इतनी तीव्रता का भूकंप भारत में आता है, तो कितनी बड़ी तबाही हो सकती है? क्या भारत इसके लिए तैयार है? आइए एक्सपर्ट्स की राय और सरकारी रिपोर्टों के जरिए इसका जवाब तलाशते हैं।
भारत में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया तो क्या होगा?
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के पूर्व उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी के मुताबिक, “अगर जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैले हिमालयी क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 8 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आया, तो 8 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा सकती है। यह कोई डराने वाली बात नहीं, बल्कि लोगों को सतर्क करने के लिए चेतावनी है।” उन्होंने कहा कि 1950 के बाद से हिमालयी बेल्ट में ऐसा कोई भूकंप नहीं आया, लेकिन वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक, इस क्षेत्र में फिर से इतना बड़ा भूकंप आने के लिए पर्याप्त भूगर्भीय दबाव बन चुका है।
भारत के किन हिस्सों पर सबसे ज्यादा खतरा?
भारत को भूकंप के लिहाज़ से चार जोनों में बांटा गया है – Zone-II से लेकर Zone-V तक। Zone-V सबसे ज्यादा संवेदनशील है।
Zone-V (सबसे ज्यादा खतरे वाला क्षेत्र)
- पूर्वोत्तर भारत
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का कुछ हिस्सा
- उत्तर बिहार
- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
- गुजरात का कच्छ क्षेत्र
Zone-IV (उच्च खतरा क्षेत्र)
- दिल्ली-NCR
- सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग
- बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से
- महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ क्षेत्र
Zone-III (मध्यम खतरा क्षेत्र)
- केरल, गोवा, मध्य प्रदेश
- ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश
- तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब आदि
Zone-II (न्यूनतम खतरा क्षेत्र)
देश के बाकी हिस्से
किस तरह की तबाही मच सकती है?
- हिमालयी क्षेत्र (उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम, अरुणाचल) में जमीन खिसकना, भूस्खलन, और नदियों पर बने अस्थायी बांध टूटना आम हो सकता है।
- देहरादून, शिलांग, गुवाहाटी और इटानगर जैसे शहरों को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
- दिल्ली-NCR और उत्तर भारत में फ्लाईओवर, मेट्रो रेल, और बड़ी इमारतें गिर सकती हैं। हजारों लोगों की जान जा सकती है।
- तटीय इलाकों जैसे चेन्नई, मुंबई, विशाखापट्टनम और अंडमान-निकोबार में सुनामी का खतरा बढ़ जाएगा।
- बिजली, पानी और संचार नेटवर्क ध्वस्त हो सकते हैं। अरबों रुपये का नुकसान और लाखों लोगों का विस्थापन हो सकता है।
क्या कहता है इतिहास?
- 1897 से 1950 के बीच भारत में चार बड़े भूकंप आए:
- 1897 – शिलांग
- 1905 – कांगड़ा
- 1934 – बिहार-नेपाल
- 1950 – असम
इन सभी की तीव्रता 8 या उससे अधिक थी और इनसे भारी तबाही हुई थी।