Dubai Burj Khalifa: क्या आप भी बुर्ज खलीफा पर वीडियो चलाना चाहते हैं तो जान लें कितना है खर्चा और क्या है पूरा नियम?
punjabkesari.in Monday, Sep 22, 2025 - 09:47 AM (IST)

नेशनल डेस्क। दुबई का बुर्ज खलीफा सिर्फ दुनिया की सबसे ऊंची इमारत नहीं है बल्कि विज्ञापन की दुनिया में भी यह सबसे प्रीमियम जगह है। अगर आप भी यहां अपना वीडियो या विज्ञापन चलाना चाहते हैं तो यह संभव है लेकिन इसके लिए एक सख्त प्रक्रिया और भारी-भरकम बजट की ज़रूरत होती है। यह सुविधा ज़्यादातर बड़ी कंपनियों, ब्रांड्स और खास आयोजनों के लिए ही उपलब्ध है।
कौन चलवा सकता है वीडियो?
बुर्ज खलीफा की LED स्क्रीन पर विज्ञापन चलाने की अनुमति सीधे किसी व्यक्ति या कंपनी को नहीं मिलती। इसका संचालन Emaar Properties करती है और आधिकारिक तौर पर Mullen Lowe MENA एजेंसी इसके विज्ञापन अधिकारों का प्रबंधन करती है।
जो कोई भी यहां अपना विज्ञापन चलाना चाहता है उसे इस एजेंसी के माध्यम से ही आवेदन करना पड़ता है। आवेदन के बाद विज्ञापन की सामग्री की समीक्षा की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वीडियो दुबई की संस्कृति और कानूनों के खिलाफ न हो। इस प्रक्रिया में कम से कम चार हफ्ते का समय लगता है और भुगतान पहले ही करना होता है।
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कितना है खर्च?
बुर्ज खलीफा पर विज्ञापन चलाने का खर्च कई बातों पर निर्भर करता है जैसे कि समय और दिन।
सप्ताह के दिन (सोमवार से गुरुवार): एक 3 मिनट का विज्ञापन अगर शाम 8 बजे से 10 बजे के बीच चलाया जाए तो इसकी लागत लगभग AED 250,000 (लगभग ₹55-60 लाख) हो सकती है।
सप्ताहांत (शुक्रवार से रविवार): वीकेंड या छुट्टियों के दौरान उसी समय स्लॉट में यह लागत बढ़कर लगभग AED 350,000 (लगभग ₹75-80 लाख) हो जाती है।
अगर कोई ब्रांड एक से ज़्यादा बार विज्ञापन चलाना चाहता है तो खर्च और भी बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए दो बार 3 मिनट का विज्ञापन दिखाने की लागत AED 500,000 (₹1 करोड़ से ज़्यादा) हो सकती है।
इन खर्चों में केवल विज्ञापन दिखाने की फीस शामिल है। वीडियो बनाने, उसे एडिट करने और तकनीकी रूप से तैयार करने का खर्च अलग से लगता है।
कहा जा सकता है कि बुर्ज खलीफा पर वीडियो चलाना एक महंगा सौदा है। यह सुविधा उन बड़े ब्रांड्स के लिए ज़्यादा उपयुक्त है जिनका बजट करोड़ों में है और जो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। यही वजह है कि यहां आमतौर पर बड़े कॉर्पोरेट, लक्जरी ब्रांड्स और खास मौकों जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर ही विज्ञापन देखने को मिलते हैं।