ब्रिटेन में कितना है टैक्स जो दुबई खींचे जा रहे अरबपति, क्या है इसके पीछे की वजह?
punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 02:27 PM (IST)
नेशनल डेस्क : दुनिया के बड़े अमीर अब अपने ठिकाने बदल रहे हैं, और उनका नया पता है – दुबई। इस सूची में एक और बड़ा नाम जुड़ गया है, भारतीय मूल के ब्रिटिश अरबपति लक्ष्मी मित्तल का। मित्तल, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल के मालिक हैं, ब्रिटेन छोड़कर अब दुबई में बसने की तैयारी में हैं। यह अचानक बदलाव क्यों हो रहा है, इसका सीधा कारण ब्रिटेन में लागू हो रही भारी टैक्स नीति है।
ब्रिटेन की नई टैक्स नीति से अमीरों में असुरक्षा
ब्रिटेन की लेबर पार्टी की नई सरकार ‘सुपर रिच’ लोगों पर वेल्थ टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य गिरती अर्थव्यवस्था को संभालना और हाई-नेटवर्थ व्यक्तियों से करीब 20 अरब पाउंड (लगभग 2.3 लाख करोड़ रुपये) जुटाना है। इसके अलावा, सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स को भी 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया है, और इसे 2026 तक 18% तक बढ़ाने की योजना है। इन बढ़े हुए टैक्सों के अलावा, ब्रिटेन में इनहेरिटेंस टैक्स भी 40% तक है, जो अमीरों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। इस तरह की नीतियों ने कई बड़े कारोबारियों को ब्रिटेन छोड़ने के लिए मजबूर किया है।
टैक्स फ्री लाइफस्टाइल
ब्रिटेन छोड़ने का कारण केवल टैक्स ही नहीं है, बल्कि दुबई का आकर्षण भी है। दुबई और अन्य खाड़ी देशों जैसे UAE, कतर में पर्सनल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता। ये देश अपनी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार तेल और गैस के विशाल भंडारों से प्राप्त रेवेन्यू पर निर्भर करते हैं, जिससे उन्हें नागरिकों की सैलरी पर टैक्स लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके कारण ये देश विदेशी निवेशकों और उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों के लिए आकर्षक बन गए हैं।
ब्रिटेन में हाल ही में ‘Non-Dom Status’ को खत्म कर दिया गया, जिसके तहत विदेशी अमीरों को ब्रिटेन में केवल अपनी कमाई पर ही टैक्स देना पड़ता था। इस राहत के खत्म होते ही, ब्रिटेन अब हाई-नेटवर्थ व्यक्तियों के लिए कम आकर्षक हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, कई प्रमुख कारोबारी जैसे Revolut के को-फाउंडर निक स्टॉर्न्सकी और भारतीय मूल के हरमन नरुला पहले ही ब्रिटेन छोड़कर दुबई का रुख कर चुके हैं।
दुबई में 'टैक्स फ्री' लेकिन महंगी लाइफस्टाइल
हालांकि दुबई को टैक्स-फ्री देश माना जाता है, लेकिन वहां की लाइफस्टाइल महंगी है। जहां मुंबई जैसे शहर में एक अच्छा 1BHK फ्लैट ₹40,000-70,000 महीने में मिल जाता है, वहीं दुबई में इसका किराया ₹1.5 लाख से ₹3 लाख तक हो सकता है। इसके अलावा, रोजमर्रा की चीजों की कीमत भी बहुत ज्यादा है, जैसे दूध ₹120 प्रति लीटर और मासिक मेट्रो पास ₹8,500 तक का हो सकता है। इससे स्पष्ट है कि टैक्स में जो बचत होती है, वह अक्सर महंगे रहन-सहन में खर्च हो जाती है।
नौकरी की सुरक्षा और अन्य चुनौतियां
दुबई में नौकरी की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। यहां श्रम कानून भारत के मुकाबले कड़े नहीं हैं। नौकरी छूटने पर वीजा भी खत्म हो जाता है और कर्मचारियों को नई नौकरी खोजने के लिए महज 30 से 60 दिन का समय मिलता है। कई कंपनियां बिना नोटिस दिए छंटनी कर देती हैं, जिससे कर्मचारियों को कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती।
