कितने लोग भारत में हर रोज भूखे सोते हैं? आंकड़े जानकर चौंक जाएंगे आप

punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 12:23 AM (IST)

नेशनल डेस्कः हर साल 16 अक्टूबर को विश्वभर में वर्ल्ड फूड डे (World Food Day) मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि आज भी दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें भरपेट खाना नहीं मिल पाता। यह पहल संयुक्त राष्ट्र की संस्था FAO (Food and Agriculture Organization) के जरिए शुरू हुई थी। साल 2025 में FAO अपने 80 साल पूरे कर रहा है।

इस खास मौके पर भूख, कुपोषण और खाने की बर्बादी जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया जाता है। भारत जैसे बड़े और विविध देश में जहां मॉल, होटल और रेस्टोरेंट्स में खाना फेंका जा रहा है, वहीं लाखों लोग रात को भूखे पेट सोने को मजबूर हैं।

भारत में भूखे लोगों की संख्या

भारत में आज भी लगभग 19 करोड़ लोग हर रोज भूखे पेट सोते हैं। यह संख्या कई देशों की कुल आबादी से भी अधिक है। हर साल भारत में लगभग 40 प्रतिशत खाना बर्बाद हो जाता है। यह खाने की बर्बादी लगभग ₹92,000 करोड़ रुपये के बराबर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 के अनुसार भारत की रैंक 116 देशों में 101वीं है, यानी भूख की समस्या गंभीर स्तर पर है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा भूखे लोग भारत में रहते हैं, चीन से भी ज्यादा।

भूखे रहने के कारण

भूखे रहने के पीछे कई कारण हैं:

  1. खाने की बर्बादी:

    • दुनिया भर में हर साल करीब 250 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है।

    • कोरोना महामारी से पहले ही 93 करोड़ टन खाना खराब हो चुका था।

    • इसमें से 63% घरों से, 23% रेस्टोरेंट से और 13% रिटेल शॉप्स से बर्बाद हुआ।

  2. आर्थिक असमानता और वितरण की समस्या:

    • गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सामग्री की पहुंच सीमित है।

    • स्थानीय प्रशासन और सरकारी योजनाओं के बावजूद, पर्याप्त भोजन नहीं पहुंच पाता।

सरकारी प्रयास भूख कम करने के लिए

भारत में भूख और कुपोषण कम करने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013: गरीब परिवारों को सब्सिडी पर अनाज उपलब्ध कराता है। मिड-डे मील योजना: स्कूल जाने वाले बच्चों को पोषणयुक्त भोजन प्रदान करती है।आंगनवाड़ी कार्यक्रम: बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण योजनाएं। पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS): गरीब परिवारों तक अनाज और खाद्य सामग्री पहुंचाने का माध्यम।

भविष्य की चुनौती और समाधान

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सरकारी योजनाएं ही पर्याप्त नहीं हैं।

खाद्य उत्पादन, वितरण और बर्बादी को कम करना सबसे बड़ा कदम होगा। लोगों में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है ताकि खाना फेंकने की प्रवृत्ति कम हो। स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करके भारत में भूख और कुपोषण को कम किया जा सकता है। वर्ल्ड फूड डे हमें यह याद दिलाता है कि भूख एक गंभीर वैश्विक चुनौती है और इसके समाधान के लिए हर व्यक्ति, समाज और सरकार को मिलकर काम करना होगा।


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Content Writer

Pardeep

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