भारत का इकलौता रेलवे स्टेशन: जहां प्लेटफॉर्म टिकट नहीं! पासपोर्ट दिखाकर मिलती है एंट्री, नाम सुनकर चौंक जाएंगे आप
punjabkesari.in Friday, Dec 12, 2025 - 04:33 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत के रेलवे इतिहास में कई ऐसी दिलचस्प कहानियां छिपी हैं जो यात्रियों को चौंका देती हैं। इन्हीं में से एक कहानी है उस स्टेशन की, जहां प्लेटफॉर्म टिकट की बजाय पासपोर्ट दिखाना अनिवार्य था। यह व्यवस्था किसी नियम की सख्ती नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़ी एक अनोखी प्रक्रिया का हिस्सा थी। यह स्टेशन वह जगह था, जहां से मुसाफर एक कदम में भारत से पड़ोसी देश की सीमा की ओर बढ़ते थे।
भारत का आखिरी और सबसे संवेदनशील रेलवे स्टेशन
पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित अटारी रेलवे स्टेशन को भारत का आखिरी स्टेशन माना जाता है। यह स्टेशन भारत-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद है और कभी ‘समझौता एक्सप्रेस’ का मुख्य ठिकाना हुआ करता था। इस ट्रेन से यात्रा करने वाले हर व्यक्ति को स्टेशन पर प्रवेश करने से पहले पासपोर्ट और वीजा दिखाना पड़ता था। सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि बिना दस्तावेजों के मिलने पर फॉरेन एक्ट के तहत कार्रवाई तक हो सकती थी। यहां हर कदम पर निगरानी रहती थी, क्योंकि यह सिर्फ रेलवे स्टेशन नहीं बल्कि दो देशों के बीच की संवेदनशील सीमा का दरवाजा था।
क्यों शुरू हुई और क्यों बंद हो गई समझौता एक्सप्रेस
इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच 1971 के शिमला समझौते के बाद, दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश के रूप में 1976 में समझौता एक्सप्रेस की शुरुआत हुई। यह ट्रेन अटारी से लाहौर तक चलती थी और वर्षों तक हजारों लोग इसका उपयोग करते रहे। पहले यह रोज चलती थी, बाद में सुरक्षा और राजनीतिक परिस्थितियों के चलते इसे हफ्ते में दो दिन कर दिया गया। फिर 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने यह सेवा बंद कर दी। दिलचस्प बात यह है कि बंद होने के समय भारतीय ट्रेन के 11 डिब्बे लाहौर में फंसे रह गए, जबकि पाकिस्तान की ट्रेनों के 16 डिब्बे आज भी अटारी स्टेशन पर खड़े हैं।
भारत के ऐसे ही कुछ और अनोखे स्टेशन
भारत में कई रेलवे स्टेशन अपनी अनोखी पहचान के लिए मशहूर हैं। जैसे—वेंकटनरसिम्हाराजुवारिपेटा, जिसका नाम सबसे लंबा है। IB और बांसपानी, जिनके नाम बेहद छोटे हैं। कटक, जिसका नाम उल्टा-सीधा पढ़ने पर भी एक जैसा लगता है। और राशिदपुरा खोरी, जहां रेलवे की बजाय स्थानीय ग्रामीण ही ट्रेन संचालन में मदद करते हैं। ये स्टेशन दर्शाते हैं कि रेलवे केवल सफर का साधन नहीं, बल्कि देश की विविधता, इतिहास और रोमांच से भरी कहानियों का बड़ा संग्रह भी है।
