उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला: प्रमोशन कर्मचारी का मौलिक अधिकार नहीं
punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 05:01 PM (IST)
नेशनल डेस्क : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि किसी कर्मचारी का प्रमोशन उसका मौलिक अधिकार नहीं है। अदालत ने यह निर्णय एक महिला कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया, जिन्होंने प्रमोशन के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किए जाने का विरोध किया था।
मामला क्या था
याचिकाकर्ता महिला ने साल 1990 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट में नौकरी शुरू की थी। साल 2023 तक उन्होंने डिस्टिक्ट टाउन प्लानर के पद पर कार्य किया और सीनियर पद के लिए पात्र भी हो गई थीं। इसके बावजूद विभाग ने उनके नाम पर प्रमोशन के लिए विचार नहीं किया।
विभागीय विवाद और सर्टिफिकेट
महिला पर विभाग ने आरोप लगाए कि उन्होंने अपने विकलांगता प्रमाण पत्र में अस्थायी सुनने की विकलांगता 41% दर्ज कराई थी। इसके बाद उन्होंने दूसरा प्रमाण पत्र जमा कराया, जिसमें 53% और स्थायी दिव्यांगता बताई गई थी। इस कारण विभाग में शक उत्पन्न हुआ। मेडिकल बोर्ड ने भी उनके दिव्यांग होने को अस्थायी बताया और उनके दिव्यांग होने के दावे को खारिज किया। अंततः उन्हें 58 साल की उम्र में रिटायर करने का निर्णय लिया गया।
कोर्ट का निर्णय
जस्टिस नमित कुमार ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कानून के मुताबिक प्रमोशन कोई निहित या मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विभाग द्वारा महिला को सीनियर टाउन प्लानर पद पर प्रमोट नहीं करना कानून के तहत गलत नहीं है।
भत्ते और भुगतान का आदेश
हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश दिया कि याचिकाकर्ता ने सेवा के दौरान सीनियर टाउन प्लानर का कार्यभार संभाला था। इस दौरान उन्हें मिलने वाले भत्तों और भुगतान की मांग वाली याचिका स्वीकार की गई।
