नाईक के एनजीओं का मामला: केंद्र ने HC में अपने फैसले का बचाव किया

punjabkesari.in Thursday, Feb 02, 2017 - 10:58 AM (IST)

 नई दिल्ली: केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में विवादित भारतीय इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक पर पाबंदी लगाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए फैसला किया गया कि इस तरह की आशंका है कि नौजवान आतंकी गुटों से जुडऩे के लिए प्रेरित हो सकते हैं।  सरकार ने संगठन पर तुरंत प्रतिबंध लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली आईआरएफ की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखने वाले न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा से कहा कि इस संगठन के खिलाफ कदम उठाने के लिए उसके पास पर्याप्त साक्ष्य है ।  

केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने अदालत कागजात और सबूत सामने रखे जिस आधार पर सरकार ने फैसला किया।  एएसजी ने इन कागजातों को अदालत को सौंपा और न्यायमूर्ति सचदेवा से साक्ष्यों पर गौर करने और संज्ञान लेने का अनुरोध किया जिस आधार पर फैसला किया गया है। आईआरएफ ने अपनी याचिका में गृह मंत्रालय (एमएचए) की 17 नवंबर 2016 की अधिसूचना को चुनौती दी जिसके तहत गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत संगठन पर फौरन प्रतिबंध लगाया गया। 

सुनवाई के दौरान आईआरएफ की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश माथुर ने दलील दी कि एमएचए की अधिसूचना में एेसे कदम उठाने के लिए कोई वजह नहीं बतायी गई और कोई सबूत नहीं रखा गया जो कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के तहत जरूरी है।  आईआरएफ ने यह भी कहा कि उसे बिना कारण बताआे नोटिस दिए तुरंत प्रतिबंध लगाया गया।  


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