Repeat Health Tests: शरीर दे रहा चेतावनी! कितने टाइम के बाद करवाना चाहिए मेडिकल टेस्ट? जानें कौन सा टेस्ट कब करें रिपीट?

punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 12:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारा शरीर भी धीरे-धीरे कई छोटी-छोटी चेतावनियां देना शुरू कर देता है। 30 की उम्र के बाद बाहरी तौर पर भले ही हम सामान्य दिखें लेकिन हमारे शरीर के भीतर मेटाबॉलिज्म (Metabolism) धीमा पड़ने लगता है, ऊर्जा का स्तर कम होता है और कई गंभीर बीमारियां चुपचाप जन्म लेने लगती हैं। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि हाई बीपी (BP), शुगर (Sugar), फैटी लिवर (Fatty Liver) या थायरॉयड जैसी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं दिखाती हैं और सालों तक बढ़ती रहती हैं। इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच (Routine Checkups) ही एकमात्र तरीका है जिससे आप जान सकते हैं कि शरीर के अंदर क्या चल रहा है।

डॉक्टर से कब मिलें? 

सामान्य सलाह: 30 की उम्र के बाद साल में एक बार डॉक्टर से मिलकर बेसिक चेकअप (Basic Checkup) करवाना समझदारी है।

विशेष परिस्थिति: यदि आपके परिवार में (Family History) डायबिटीज, मोटापा या अत्यधिक तनाव जैसी समस्याओं का इतिहास रहा है तो हर 6 महीने में जांच करवाना सबसे बेहतर माना जाता है।

महिलाओं के लिए: महिलाओं को अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynecologist) से भी साल में एक बार नियमित जांच कराने की सलाह दी जाती है।

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अनिवार्य स्वास्थ्य जांच (Mandatory Health Tests After 30)

विशेषज्ञों के अनुसार 30 की उम्र पार करने के बाद निम्नलिखित जांचें वार्षिक स्वास्थ्य चेकअप में अनिवार्य रूप से शामिल होनी चाहिए:

1. ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर (BP & Blood Sugar)

ये दो समस्याएं अक्सर बिना किसी संकेत के अचानक बढ़ जाती हैं।

सलाह: ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की जांच हर 6 से 12 महीने में और ब्लड शुगर की जांच साल में एक बार ज़रूर करानी चाहिए खासकर यदि परिवार में मधुमेह (Diabetes) का इतिहास रहा हो।

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2. लिपिड प्रोफाइल (Lipid Profile) – दिल की सुरक्षा

कारण: असंतुलित खान-पान, तैलीय भोजन और घंटों बैठकर काम करने की आदत से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है।

ज़रूरत: पतले लोग और शाकाहारी भी खराब कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) से प्रभावित हो सकते हैं। दिल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल जांच करवाना बहुत ज़रूरी है।

 

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3. लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट (LFT & KFT)

जोखिम कारक: तनाव, शराब का सेवन, लगातार दवाओं का उपयोग और पैकेज्ड खाना (Processed Food) हमारे लिवर (Liver) और किडनी (Kidney) पर बुरा असर डालते हैं।

सलाह: इन महत्वपूर्ण अंगों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए LFT और KFT को सालाना चेकअप में शामिल करना चाहिए।

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4. विटामिन और हॉर्मोन जांचें (Vitamins & Hormones)

सामान्य कमी: आजकल थायरॉयड, विटामिन D और विटामिन B12 की कमी बेहद आम हो गई है जो अक्सर थकान और ऊर्जा की कमी का कारण बनती है।

सलाह: इनकी जांच भी साल में एक बार कराना फायदेमंद है ताकि कमी की पहचान होते ही सप्लीमेंट्स शुरू किए जा सकें।

कैंसर स्क्रीनिंग: समय पर पहचान (Cancer Screening: Early Detection)

30 की उम्र के बाद कैंसर स्क्रीनिंग को लेकर जागरूक रहना बेहद ज़रूरी है खासकर यदि परिवार में किसी प्रकार का कैंसर का मामला (Family History) हो।

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महिलाओं के लिए

हर 3 साल में पैप स्मीयर (Pap Smear) की जांच।

नियमित रूप से ब्रेस्ट एग्जाम (Breast Exam) करवाना।

पुरुषों के लिए

सालाना टेस्टिकुलर एग्जाम (Testicular Exam) की सलाह दी जाती है।

बता दें कि समय पर की गई ये नियमित जांचें न केवल हाई बीपी या शुगर जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां (Lifestyle Diseases) बताती हैं बल्कि कई जानलेवा बीमारियों को भी उनके शुरुआती स्तर (Initial Stage) पर पकड़ लेती हैं जिससे सफल इलाज की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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