नोट बंदी से नरम पड़े सब्जियों के भाव, 20 से 25 प्रतिशत तक गिरावट आई

punjabkesari.in Sunday, Nov 20, 2016 - 11:27 PM (IST)

चंडीगढ़, (आशीष): नोट बंदी और खुल्ले पैसों की किल्लत से सब्जियों के भावों में लगातार गिरावट आ रही है। बीते हफ्ते के दौरान सब्जियों के भावों में बीस से पच्चीस प्रतिशत की गिरावट आई है, सब्जी मंडियों की हालत पतली है। बहुत कम ग्राहक सब्जी खरीदने पहुंच रहे हैं और जो पहुंच रहे हैं वे छुटटों के चक्कर में ज्यादा सब्जी नहीं खरीद पा रहे हैं। सैक्टर-26 सब्जी मंडी में आलू 6-7, फूल गोभी 10 रुपए किलो बिक रही है।

 सब्जी विक्रता जोगिन्द सिंह के अनुसार हर सब्जी के भाव कम हुए हैं। गिने-चुने लोग ही सब्जी खरीदने आ रहे हैं। सब्जी खरीदने आए सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि सब्जियां तो सस्ती हुई हैं, लेकिन खुल्ले पैसे नहीं होने से ज्यादा सब्जी नहीं खरीद पा रहे हैं।

ए.टी.एम. में नहीं कैश

शहर के लगभग सभी सैक्टरों में 4 से 5 ए.टी.एम. हैं, लेकिन कैश एक में ही नियमित डाला जा रहा है। एस.बी.आई. के ए.टी.एम. में सुबह 10 बजे कैश डालने से पहले ही लाइन लग जाती है। कैश 4-5 बजे तक खत्म हो जाता है। फिर भी लाइन लगी रहती है। इसके बाद 6 बजे फिर कैश डाला जाता है, जो रात करीब 12 बजे खत्म होता है।

भगवान के दर पर भी घटा चढ़ावा

भगवान के दर पर भी चढ़ावा घट गया है। आम दिनों में रोजाना तीन से पांच हजार भक्त पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते थे, लेकिन अब संख्या कम रह गई है। अब दानपात्रों में ज्यादातार भक्त दस का नोट डालते हुए नजर आ रहे हैं। कई भक्त तो आॢथक तंगी में महज हाथ जोड़कर ही काम चला रहे हैं। वहीं कुछ भक्त ऐसे हैं जो सौ और पचास के नोट चढ़ा रहे हैं।   

खुल्ले के रूप में बैकों से सिक्के

कई लोग अब बैंकों से खुल्ले लेने से भी कतारने लगे हैं। कई लोगों को बैंकों से खुल्ले के रूप में सिक्के दिए गए, जिस कारण लोग परेशान नजर आए। लोगों का कहना था कि इतने सिक्कों को गिनने के बाद लेकर जाने की दिक्कत है। बैंक अधिकारियो का कहना है कि कैश की कमी को पूरा करने के लिए लोगों को सिक्के दिए गए हैं।  

छुट्टी के दिन ए.टी.एम. के बाहर लाइनें

रविवार को छुट्टी होने के कारण जरूरतमंद लोगों को ए.टी.एम. का ही सहारा था। ए.टी.एम. के बाहर खड़े होकर लोग इंतजार करते नजर आए। शहर के अधिकतर ए.टी.एम. में दोपहर बाद कैश न होने के कारण लोगों को निराश होकर दूसरे ए.टी.एम. को रूख करना पड़ा। कुछ लोगों ने अपनी जरूरतों में कटौती की है, ताकि इन दिनों घर की स्थिति संभाल सकें।


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