जब 1905 में भारत में आया था विनाशकारी भूकंप, 20 हजार लोगों ने गवाई थी जान

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2024 - 06:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क : 2 अप्रैल को ताइवान की राजधानी ताइपे में आए भूकंप में अब तक 10 लोगों के मौत की खबर सामने आई है, 42 से ज्यादा लोग लापता हैं, वहीं 900 से ज्यादा लोग घायल भी हो चुके है । मिली जानकारी के अनुसार यह झटका इतना ज्यादा तेज था कि इसके झटके जापान और फिलीपींस तक महसूस किए गए थे । 7.4 की तीव्रता से आए इस भूकंप ने ताइपे को तबाह ही नहीं किया, बल्कि कितनो की जिंदगी को बूरी तरह प्रभावित भी कर दिया है ।

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1999 के बाद आया सबसे शक्तिशाली भूकंप
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब भी लगभग 77 लोग इमारतों के मलबे में फंसे हुए हैं और बचावकर्मी उन्हें सुरक्षित निकालने की तमाम कोशिशो में लगी हुई है। वैसे तो ताइवान में भूकंप हमेशा आते रहते हैं, लेकिन यह 1999 के बाद आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था। लोगों से मिली जानकारी के अनुसार भूकंप इतना तेज था कि वे लोग तुरंत घरों से बाहर आ गए। कुछ इमारतें 45 डिग्री तक झुक गईं, जिससे लोग भयभीत हो गए। कई पुरानी इमारतों की छत भरभरा कर गिर गईं। भूकंप के बाद स्कूलों से बच्चों को निकालकर मैदान में ले जाया गया।

भारत और अमेरिका ने जताई संवेदना
भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर डाले पोस्ट में ताइवान में भूकंप पीडि़तों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि भारत इस विपत्ति की घड़ी में ताइवान के लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है। वहीं अमेरिका ने भी कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ताइवान में भूकंप और जापान पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में रिपोर्टों की निगरानी कर रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका किसी भी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। प्रभावित सभी लोग हमारी प्रार्थनाओं में हैं।

वर्तमान में ताइपे के लगभग 91 हजार घरों की बिजली गुल है, क्योंकि भूकंप से बिजली के तारों और पावर प्लांट को भी नुकसान पहुंचा है। भूकंप और उसके बाद आए झटकों से 24 जगह भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा 35 सड़कें, पुल और सुरंगें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।   

ऐसा ही भूकंप भारत में भी आ चुका है
इस भूकंप के झटके को लेकर इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि यह 25 सालों में आया इस देश का सबसे विनाशकारी भूकंप है । इस भीषण भूकंप ने भारत के हिमाचल में हुए उस प्रलय की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गवा दी थी । बता दे कि ऐसा ही भूकंप भारत में भी आ चुका है, जिसमें लगभग 20 हजार लोगों ने अपने जान गवां दिए थे ।
4 अप्रैल 1905 को भारत के हिमाचल में आए इस भूकंप में दावा किया जाता है कि उस दौरान हिमाचल के कांगड़ा की धरती 7.8 रिक्टर स्केल की तीव्रता से थर्रा गई थी।

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20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत 
जिसके बाद यह स्थान पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गया था । आपदा प्रबंधन के अनुसार इस विनाशकारी भूकंप में लगभग  20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत के साथ में 53 हजार पशुओं की भी जान चली गई थी और लगभग 1 लाख घर मलवे में तबदिल हो गए थे । इस दिन भूकंप के झटके करीब दो मिनट तक लगातार महसूस किए गए थे । यह भूकंप उस समय आया जब सभी लोग चैन की नींद सो रहे थे । ये भी एक कारण है कि इस झटके में हजारों की संख्या में लोग मारे गए ।उन्हें घर से भागकर बाहर खुली जगह पर आने का मौका ही नहीं मिल पाया ।

1975 में किन्नौर में भी इसी तरह का भूकंप
बता दे कि इस भूकंप ने यहां के प्रसिद्ध ब्रजेश्वरी मंदिर को भी काफी नुकसान पहुचा था।आज भी इस जिले में कई मंदिरों का मलबा पड़ा हुआ हैं जिससे यह प्रतित होता है कि यह भूकंप कितना भीषण था। बता दें कि इसके अलावा और भी कई बार भारत में भूकंप आए है जिसमें हजारों की संख्याओं में लोगो ने अपने जान गवाए है । साल 1975 में किन्नौर में भी कुछ इसी तरह का भयानक भूकंप आया था। इसके अलावा 28 फरवरी, 1906 में भी कुल्ली में 6.4 तीव्रता से भूकंप महसूस किए गए थे ।

क्या कारण है जो यह भूकंप हमेशा ही आते रहते है
आइए हम जानते है कि आखिर क्या कारण है जो यह भूकंप हमेशा ही आते रहते है । बता दे कि धरती के अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है। पृथ्वी के नीचे मौजूद प्लेट्स घूमती रहती हैं, जिसके आपस में टकराने पर पृथ्वी की सतह के नीचे कंपन शुरू होता है। जब ये प्लेट्स अपनी जगह से खिसकती हैं तो भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।यही कारण है कि हर साल भूकंप आते रहते हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा भूकंप इंडोनेशिया में आता है, यह क्षेत्र रिंग ऑफ फायर के नाम से भी जाना जाता है ।

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दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग
प्रशांत महासागर के पास स्थित यह क्षेत्र दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग कहा जाता है । इसके अलावा जावा और सुमात्रा भी इसी क्षेत्र में आते हैं ।यह एक ऐसी अद्भुत घटना है जो बिना किसी चेतावनी के घटती है और इसमें जमीन तथा इसके ऊपर मौजूद संरचनाओं का बुरी तरह से हिलना शामिल है।
ऐसा गतिषील स्थल-मण्डलीय अथवा क्रस्टल प्लेटों के संचरित दबाव के मुक्त होने के कारण होता है।                

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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