गुलबर्ग हत्याकांड: 14 साल बाद हुआ सजा का ऐलान, जाकिया बोली- अभी इंसाफ अधूरा

punjabkesari.in Friday, Jun 17, 2016 - 12:53 PM (IST)

नई दिल्ली: गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में अहमदाबाद की विशेष एसआईटी अदालत ने 24 दोषियों को सजा सुनाई है। इनमें से 11 दोषियों को उम्रकैद, 12 लोगों को 7 साल की सजा और 1 आरोपी को 10 साल की सजा दी सुनाई गई है। साल 2002 के इस नरसंहार में कुल 69 लोगों की हत्या की गई थी। नरसंहार में 39 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। 

कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में आपराधिक साजिश का कोई सबूत नहीं है और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप हटा दिए थे। कोर्ट ने जिन लोगों को बरी किया, उनमें बीजेपी के मौजूदा कॉर्पोरेटर (पार्षद) बिपिन पटेल, तब के पुलिस इंस्पेक्टर केजी अर्डा और कांग्रेस के पूर्व कॉर्पोरेटर मेघ सिंह चौधरी हैं। 2002 के गुजरात दंगों के ये मामला उन नौ मामलों में से एक है जिसकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने जांच की थी। यह घटना साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में गोधरा स्टेशन के पास आग लगाए जाने के एक दिन बाद हुई थी।

जाकिया जाफरी ने क्या कहा?
27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के ठीक अगले दिन यानी 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में दंगा हुआ था, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की भी मौत हुई थी। कोर्ट के फैसले के बाद जाकिया जाफरी का कहना है कि अभी आधा इंसाफ मिला है। मैं खुश भी हूं और दुखी भी। करीब 14 साल बाद फैसला आया है। मुझे खुशी है कि 24 दोषी करार दिए गए हैं, लेकिन 36 को छोड़ दिया गया। इतने सारे लोग, सभी हिंसक थे। अदालत ने उन्हें कम सजा देने के लिए कैसे चुना? मैं इसके लिए आगे लड़ाई लडूंगी और मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाऊंगी।

कौन थे जाफरी?
अहसान जाफरी मूल रूप से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के रहने वाले थे। इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में वह सांसद चुने गए थे। उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने कोर्ट में अपने बयान में बताया था कि हत्याकांड से पहले अहमदाबाद के पुलिस कमिशनर पी सी पांडे गुलबर्ग सोसाइटी पहुंचकर पूर्व सांसद जाफरी से मिले और उनके परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की बात कही, लेकिन सोसाइटी के दूसरे लोग भी जाफरी के घर आकर जमा हो गए। इसलिए जाफरी ने उन लोगों को छोड़कर जाने से इंकार कर दिया था। 

मोदी पर भी लगे थे आरोप 
इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगे थे। 2010 में उनसे पूछताछ हुई थी। बाद में एसआईटी ने उन्हें क्लीनचिट दे दी।


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