उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में लागू होगा UCC, सीएम भूपेंद्र पटेल ने 5 सदस्यीय समिति का किया ऐलान
punjabkesari.in Tuesday, Feb 04, 2025 - 02:25 PM (IST)
नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने और इसे लागू करने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समिति बनाई गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस फैसले की जानकारी दी और कहा कि यह समिति 45 दिनों के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद सरकार इस पर निर्णय लेगी।
सीएम पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में काम किया जा रहा है। यह कदम सभी नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए उठाया जा रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत का संविधान नागरिकों के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए है और सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।
#WATCH | Gujarat CM Bhupendra Patel says, "To prepare the draft for Uniform Civil Code (UCC) and make the law, a 5-member committee under the chairmanship of retired Supreme Court judge Ranjana Desai has been constituted. The committee will submit its report to the state… pic.twitter.com/UbVRSL1lfx
— ANI (@ANI) February 4, 2025
गृह मंत्री हर्ष संघवी का बयान
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने में सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। संघवी ने कहा, "गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने यूसीसी (समान नागरिक संहिता) समिति का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई करेंगी। सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सीएल मीना, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ भी इस समिति का हिस्सा होंगे। मुख्यमंत्री ने इस समिति को अगले 45 दिनों में इस पर विस्तृत शोध करने और सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।"
उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य
इस महीने की शुरुआत में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला पहला राज्य बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता का उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "वहां लंबी चर्चा हुई। बहस के बाद यह तय हुआ कि बेहतर होगा कि जो सरकार चुनेगी, वह इस पर फैसला ले और देश में समान नागरिक संहिता लागू करे... सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा है कि समान नागरिक संहिता को देश में लाया जाना चाहिए... संविधान की भावना और संविधान निर्माताओं को ध्यान में रखते हुए हम धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के लिए पूरी ताकत से काम कर रहे हैं।"