अपने ही किले में पटेल वोट के लिए जूझ रही भाजपा

punjabkesari.in Friday, Dec 01, 2017 - 11:04 AM (IST)

नर्इ दिल्लीः  गुजरात में चुनाव प्रचार अब पूरी तरह से जोर पकड़ चुका है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री मोदी रैली व सभाएं कर रहे हैं। भाजपा के परंपरागत वोटर रहे पाटीदार सुमदाय के लोग इस बार दल से दूरी बनाए हुए हैं। जाहिर से इससे भाजपा के रणनीतिकारों की नींद उड़ी हुई है। वे पार्टी से बिदक चुके पाटीदार वोटरों को रिझाने के लिए हर तरह की कोशिशें कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह सभाओं की शुरुआत पटेल बहुल सौराष्ट्र के इलाके से की है। नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों के जरिए पटेलों को लुभाने की हर मुमकिन कोशिश की है। इस चुनाव में पटेलों के वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे। इसलिए उनको रिझाने के लिए पार्टियां जोर लगा रही हैं। यही वजह है कि मोदी, राहुल और हार्दिक एक ही समय सौराष्ट्र के इलाकों में सभाएं कर रहे हैं।

विष्लेशक कहते हैं कि 15 प्रतिशत वोट वाले पटेल 1995 से भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभा रहे हैं। शहरों में पहले से बसे उच्च मध्यवर्ग व मध्यवर्ग के पटेल तो भाजपा की ओर हैं, लेकिन युवा वर्ग में नाराजगी है। 35 साल से कम के पटेल वोटर भाजपा से किनारा करने के मूड में हैं। भाजपा के प्रभाव वाले शहरी क्षेत्रों में पटेल व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी से उनको काफी नुकसान हुआ है, लेकिन उनके भाजपा के साथ जाने की संभावना दिखाई देती है।  सौराष्ट्र के पटेलों की बहुतायत सूरत में हीरे के कारोबारियों के रूप में है। हीरा उद्योग के मालिकों व कामगारों के बीच एक जाति का होने से अच्छे संबंध हैं, इसलिए भाजपा मालिकों को रिझा रही है ताकि कामगार भी वोट दें। भाजपा ने सूरत की तीन पटेल बहुल सीटों से वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं दिया है। तीनों के खिलाफ सुमदाय के लोगों में बहुत गुस्सा है। ये रणनीति कितनी कारगर होगी ये तो समय बताएगा।

कांगे्रस को विलेन बना रही भाजपा
पटेलों को अपनी तरफ करने के लिए मोदी ने कह रहे हैं कि कांगे्रस और नेहरू-गांधी परिवार सरदार पटेल के समय से ही गुजरात व गुजरातियों से नफरत करता है। सबसे पुरानी पार्टी ने केशुभाई पटेल समेत पटेल सुमदाय के गुजरात के चार मुख्यमंत्रियों की साजिशन उपेक्षा की है। 2001 के भूकंप के बाद कांग्रेस में सौराष्ट्र के बेटे को उखाड़ फेंकने की साजिश रची गई। केशुभाई पटेल पर आरोप लगाया गया कि राहत कार्य को ठीक से चलाने में वे नाकाम रहे। हालांकि सबको पता है कि उस समय मोदी भाजपा के दिल्ली मुख्यालय में तैनात थे और केशुभाई पटेल को सीएम के पद से हटाने की प्रक्रिया में शामिल रहे थे। बाद में केशुभाई के हटने पर मोदी ने खुद गुजरात की कमान संभाल ली। केशुभाई पटेल खुद मानते हैं कि उनके सीएम पद से हटने में मोदी की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए 2012 के चुनाव में उन्होंने भाजपा को टक्कर देने के लिए गुजरात परिवर्तन पार्टी का गठन किया था। उसके पहले कई वर्ष तक केशुभाई ने भाजपा के अंदर पटेलों को भड़काने की नाकाम कोशिशें की थीं। कांगे्रस पर चिमनभाई पटेल की उपेक्षा करने का आरोप भी निराधार लगता है। 

कोटा आंदोलन को कांगे्रस की साजिश बताया
मोदी ने ये भी आरोप लगाया है कि आनंदीबेन पटेल को सीएम से हटाने में भी कांगे्रस की भूमिका रही है। क्योंकि पटेल कोटा आंदोलन को हवा देने में कांगे्रस ने धन व बल से सहायता की। कांगे्रस पर सारे पटेल मुख्यमंत्रियों को मुश्किल में डालने का आरोप लगाया। एक राजनीतिक विष्लेशक का मानना है कि मोदी के ये आरोप बकवास से ज्यादा कुछ नहीं और इससे भाजपा को छोड़ चुके पटेल वोटरों का मूड नहीं बदलने वाला। कुछ वोटर भले ही कशमकश में हो सकते हैं। जमीनी हकीकत ये है कि सौराष्ट्र के पटेल बहुल अमरेली के किसानों में बहुत गुस्सा है। कपास,तिल व मूंगफली की फसल की सही कीमत न मिलने के कारण उनमें सरकार के खिलाफ गहरी नाराजगी है। इसके अलावा 24 घंटे बिजली न मिलने व फसल बीमा की ऊंची प्रीमियम भी उनको रूला रही है। फसल की क्षतिपूर्मि का भुगतान भी सरकार ने नहीं किया या बहुत कम किया है। मोदी ने लोकसभा चुनाव के वक्त उनकी समस्याएं सुलझाने का वादा किया था, लेकिन कोई भी पूरा नहीं किया। 


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