Gold Price Breaks Record: गोल्ड ने तोड़ा 45 साल पुराना रिकॉर्ड, फेड चेयर के एक बयान से हिल गया बाजार!

punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 09:05 AM (IST)

नई दिल्ली: सोना एक बार फिर अपनी चमक से पूरी दुनिया को चौंका रहा है। वैश्विक बाजारों में बुधवार को सोने की कीमत ने इतिहास का सबसे ऊंचा स्तर छू लिया। पहली बार गोल्ड $3,707.57 प्रति औंस तक पहुंचा, जिससे न केवल इसका नॉमिनल रिकॉर्ड टूटा, बल्कि 1980 के बाद यानि 45 साल बाद पहली बार महंगाई के अनुसार समायोजित 'रियल हाई' भी पार कर लिया गया। यानी इतिहास में अब तक का सबसे महंगा सोना अब देखने को मिला है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस रिकॉर्ड ऊंचाई को छूने के बाद, बाजार कुछ ही घंटों में हिल गया — और इसकी बड़ी वजह बना फेडरल रिजर्व चेयर जेरोम पॉवेल का एक बयान।

फेड चेयर का बयान और बाजार की गिरावट
बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के बाद चेयरमैन पॉवेल ने संकेत दिया कि भविष्य की ब्याज दरों में कटौती "मीटिंग-बाय-मीटिंग" आधार पर तय की जाएगी। यानी अभी कोई स्पष्ट दिशा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने टैरिफ जनित महंगाई (import tariffs से जुड़ी महंगाई) को लेकर चिंता जताई, जिससे निवेशकों की उम्मीदों को झटका लगा और बाजार की गर्मजोशी ठंडी पड़ गई। परिणामस्वरूप, सेशन के अंत में सोना 0.8% गिर गया, और अगले ही दिन गुरुवार को इसमें और गिरावट देखी गई, जिससे यह $3,690 प्रति औंस से नीचे आ गया। चांदी भी $42/oz से नीचे फिसल गई।

सोने में जबरदस्त छलांग: 2025 में अब तक +40% की छलांग
2025 की शुरुआत से अब तक सोने में लगभग 40% की बढ़त दर्ज की गई है - जो कि किसी भी प्रमुख एसेट क्लास से ज्यादा है। यहां तक कि अमेरिकी शेयर बाजार का बेंचमार्क इंडेक्स S&P 500 भी इस रफ्तार के आगे फीका पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रदर्शन 1980 के बाद पहली बार देखा गया है, जब गोल्ड ने अपने रिटर्न्स से लगभग हर निवेश विकल्प को पीछे छोड़ दिया है।

क्या है 'रियल हाई' और क्यों मायने रखता है यह रिकॉर्ड?
1980 में सोने की कीमत $850 प्रति औंस तक गई थी। लेकिन तब से अब तक डॉलर की क्रयशक्ति (Purchasing Power) में भारी गिरावट आई है। अगर 1980 के $850 को आज की महंगाई के हिसाब से समायोजित करें, तो वह लगभग $3,600–$3,650 प्रति औंस के बराबर आता है। इसलिए, जब सोना $3,707 तक पहुंचा, तो उसने न सिर्फ नाम मात्र (nominal), बल्कि 'वास्तविक' (real) रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। यानी इस वक्त जो Gold की कीमत है, वह इतिहास की सबसे ऊंची और सबसे महंगी कीमत मानी जा रही है।

तो फिर गिरावट क्यों आई?
गुरुवार को गोल्ड में और गिरावट देखी गई। इसके पीछे कई कारण रहे:
-फेड का बयान कमज़ोर रूप से डोविश (लचीला नहीं) था
-डॉलर इंडेक्स में मजबूती देखने को मिली
-अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में उछाल
-शॉर्ट-टर्म मुनाफा वसूली भी प्रमुख कारण रहा
-इन कारणों ने मिलकर गोल्ड की तेजी पर ब्रेक लगाया।

फिर भी मजबूत क्यों है सोना?
हालांकि शॉर्ट-टर्म में कुछ गिरावट दिख रही है, लेकिन लॉन्ग-टर्म में गोल्ड के लिए कई पॉजिटिव फैक्टर्स अभी भी बरकरार हैं:
-जियोपॉलिटिकल तनाव जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान मसला, ईरान-इजरायल टकराव ने गोल्ड की सेफ-हेवन डिमांड बढ़ा दी है
-ग्लोबल इकॉनमी में मंदी का डर
-सेंट्रल बैंकों द्वारा भारी मात्रा में गोल्ड की खरीद
-ETF और म्यूचुअल फंड्स में गोल्ड इनफ्लो
-इन सब कारणों से निवेशकों के लिए सोना एक भरोसेमंद और सुरक्षित एसेट बन गया है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों की राय में:

-शॉर्ट-टर्म में वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) बनी रह सकती है, खासकर फेड की अगली पॉलिसी मीटिंग्स तक
-लेकिन लॉन्ग-टर्म आउटलुक अब भी बुलिश (मजबूत) है
-जिन निवेशकों को पोर्टफोलियो में स्थिरता और सुरक्षा चाहिए, उनके लिए गोल्ड एक अहम एसेट क्लास बना हुआ है
-धीरे-धीरे SIP या ट्रेंच बेस्ड निवेश करना इस समय समझदारी हो सकता है

क्या गोल्ड $4,000 तक जा सकता है?
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि अगर फेड अगले कुछ महीनों में ब्याज दरें घटाता है वैश्विक तनाव और बढ़ते हैं और डॉलर कमजोर होता है तो गोल्ड $4,000 प्रति औंस का आंकड़ा भी पार कर सकता है।


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Content Writer

Anu Malhotra

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