Study का दावा: जल्दी स्कूल भेजना पड़ सकता है भारी, 2 साल तक के बच्चों में बढ़ रही आंखों की समस्या
punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2024 - 05:23 PM (IST)
नेशनल डेस्क: हाल ही में प्रकाशित एक ग्लोबल स्टडी में सामने आया है कि हर तीन में से एक बच्चे की आंखें कमजोर हो रही हैं, और यह संख्या 2050 तक तेजी से बढ़कर 50% हो सकती है। अध्ययन में बताया गया है कि एशिया के देशों में बच्चों की दृष्टि सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है, जहां 85% बच्चे नजर की समस्या से जूझ रहे हैं। जापान में 73% और साउथ कोरिया, चीन, और रूस में 40% बच्चे कम उम्र में ही दूर या पास की नजर कमजोर होने की समस्या का सामना कर रहे हैं। ये सभी बच्चे 10 साल या उससे कम उम्र के हैं।
कम उम्र में स्कूल जाने से दृष्टि पर असर स्टडी के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ी है। विशेष रूप से 2 साल या उससे कम उम्र में स्कूल जाने वाले बच्चों की आंखें जल्दी कमजोर हो रही हैं। जबकि भारत में बच्चे 2.5 साल में प्ले स्कूल जाते हैं, सिंगापुर और हांगकांग में बच्चे 2 साल की उम्र में ही प्री-स्कूल जाने लगते हैं। कम उम्र में ज्यादा किताबें पढ़ने और मोबाइल या टीवी स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों की मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ रहा है।
It's estimated that by 2050 more than half of us will be short-sighted. Spending time outdoors - aim for 2hrs or more a day - has been shown to reduce the risk of myopia (short-sightedness) in children. #NationalEyeHealthWeek #EyeWeek pic.twitter.com/gJ0xl8q0r0
— Julian Davies Opticians (@JulianDaviesOpt) September 25, 2024
अफ्रीकी देशों में स्थिति बेहतर वहीं, पराग्वे और युगांडा जैसे देशों में बच्चों की नजर की समस्या काफी कम है, जहां केवल 1% बच्चे दृष्टि समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अफ्रीका में बच्चों के 6-8 साल की उम्र में स्कूल जाने के कारण उनके दृष्टि पर अन्य देशों की तुलना में कम प्रभाव पड़ता है।
लड़कियों में अधिक प्रभावित स्टडी में यह भी सामने आया है कि लड़कियों को आंखों की समस्याएं लड़कों की तुलना में ज्यादा होती हैं, खासकर उन लड़कियों को जो घर में अधिक समय बिताती हैं।
डॉक्टरों ने दी चेतावनी डॉक्टरों के अनुसार, यह समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है। अगर माता-पिता की नजर कमजोर है तो बच्चों में भी यह समस्या देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम उम्र में स्क्रीन से दूर रहकर और आंखों की नियमित देखभाल से इस समस्या को रोका जा सकता है।