भारत के लिए G20 अध्यक्षता भारतीय संस्कृति, जलवायु संतुलन और विकास को प्राथमिकता देने का अवसर

punjabkesari.in Wednesday, Dec 14, 2022 - 01:59 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः  हाल ही में  ‘बाली शिखर सम्मेलन’ में पूर्व अध्यक्ष देश इंडोनेशिया द्वारा वर्ष 2023 की अध्यक्षता भारत को सौंपी गई। भारत ने 1 दिसंबर  2022 को आगामी वर्ष के लिए 20 देशों के शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय समूह G20 का अध्यक्षीय पद ग्रहण किया है। भारत के लिएG20 एक अनूठी वैश्विक संस्था है, जहां विकसित और विकासशील देशों का समान महत्व है। भारत का दुनिया के सबसे प्रभावशाली बहुपक्षीय समूह G20 का नेतृत्व करना खुशी व  गौरव का विषय है, जिसे भारत के बढ़ते वैश्विक राजनीतिक कद और प्रतिष्ठा के रूप में देखा जा सकता है।

 

G20 उत्तर-दक्षिण के आर्थिक विभाजन और दूरी को कम करने में सक्षम है। यहां विकासशील देश सबसे शक्तिशाली देशों के साथ अपने राजनीतिक, आर्थिक और बौद्धिक नेतृत्व को प्रदर्शित कर सकते हैं।  G20 समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 80%, वैश्विक व्यापार के 75% और वैश्विक आबादी के 60% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। G20 की अध्यक्षता मिलते ही भारत के लिए वह बहुप्रतीक्षित क्षण आ गया है,जब वार्ता की मेज से वह अपनी पहली वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका में नई नीतियों के क्रियान्वयन का नेतृत्व करेगा।  ‘विविधता में एकता’ की कहावत भारत के लिए विषमताओं के बावजूद भी सच है। भारत आज पूरे विश्व के लिए एक मिसाल के तौर पर उभरा है। यदि बहुपक्षवाद को सफल होना है, तो G20 के सदस्य देशों को भारत के तरीके से काम करना चाहिए और एक दूसरे के साथ बातचीत को बढ़ाना चाहिए 

 

यह निर्णय हरित निवेश को सुनिश्चित करने और ‘ग्लोबल साउथ’ समूह जिसमें बड़े पैमाने पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया जैसे निम्न-आय वाले देश शामिल हैं, के लाभ के लिए विकसित देशों को सहमत करने की कोशिश करना है। भारत कमजोर देशों की सहायता करने, विकासशील देशों के लोगों की आकांक्षाओं को मुखरित करने और उनके मुद्दों को केंद्र में लाने के लिए जी-20 की प्रमुख भूमिका पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने के लिए तत्पर है, क्योंकि उनमें से अधिकांश देशों का जी-20 में प्रतिनिधित्व नहीं है। भारत के पास इस अध्यक्षीय पद का कार्यभार भू-राजनीतिक उथल-पुथल, महामारी के बाद की आर्थिक अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन के उभरते संकट के समय में आया है।

 

रूस-यूक्रेन संघर्ष ने रूस और औद्योगिक रूप से विकसित पश्चिमी देशों के बीच संबंध खराब कर दिए हैं। इनमें से अधिकांश जी-20 के सदस्य हैं। जहां सशस्त्र संघर्ष और पश्चिम द्वारा लगाए गए एकतरफा प्रतिबंधों ने महामारी के बाद वैश्विक विकास को बाधित किया है, वहीं तेल व गैस की कीमतों तथा भोजन की उपलब्धता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई का असर सबसे पहले कमजोर एवं विकासशील देशों ने महसूस किया है। विश्व बैंक के अनुसार वैश्विक विकास दर 2021 में 5.5% से 2022 में 4.1% और 2023 में 3.2% तक गिरने की संभावना है, क्योंकि बैकलॉग डिमांड फ्रिटर्स और राजकोषीय और मौद्रिक समर्थन दुनिया भर में विभाजित हैं।

 

कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के झटकों से निपटने में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण भारत एक अन्यथा अंधेरे और उदासीन वैश्विक परिदृश्य में आशा की किरण के रूप में उभरा है। इसके अलावा एक सभ्यता के रूप में भारत ‘विविधता में एकता’ की परंपरा पर गर्व करता है जिसे कई उप-संस्कृतियों के सामरस्य द्वारा सदियों से पोषित किया जाता रहा है। पिछले 75 वर्षों में भारत ने सभी नागरिकों को समायोजित करने और मतभेदों के बीच फलने-फूलने की अविश्वसनीय क्षमता का प्रदर्शन किया है।
  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Recommended News

Related News