हिज्बुल में फूट के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

punjabkesari.in Friday, May 19, 2017 - 12:40 AM (IST)

श्रीनगर : कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के हिज्बुल मुजाहिदीन से अलग होने के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और उस पर पैनी नजर रख रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पहली बार घाटी में अलगाववादियों और आतंकवादियों के बीच आंदोलन के इस्लामी या राजनीतिक होने पर जंग छिड़ी है और इसका घाटी के हालात पर दूरगामी असर हो सकता है। उन्हें लगता है कि यह तकरार आगे बढ़ भी सकती है।
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि अलगाववादियों और आतंकवादियों के बीच खटास वानी के मारे जाने के पहले से भी सामने आ रही थी। दोनों पक्षों में बातचीत बंद थी, लेकिन वानी की मौत के बाद एक बड़े अलगाववादी नेता ने दावा किया था कि उनकी कुछ दिन पहले ही वानी से बात हुई थी। वानी के मारे जाने से इसकी पुष्टि मुमकिन नहीं थी। अब एक बार फिर दरार सामने आ गई है।
उल्लेखनीय है कि मूसा ने कुछ दिन पहले राज्य के हुर्रियत नेताओं का सिर काटने की चेतावनी दी थी। मूसा ने एक ऑडियो जारी कर यह चेतावनी दी थी। ऑडियो में मूसा कह रहा है कि अगर हुर्रियत नेता आतंकी संगठनों के इस्लाम के लिए ‘संघर्ष’ में हस्तक्षेप करेंगे तो उनके सिर काटकर लाल चौक पर टांग दिया जाएगा।
सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो में मूसा धमकी देते सुना जा सकता है। मूसा कहा रहा है कि मैं सभी ढोंगी हुर्रियत नेताओं को चेतावनी देता हूं कि वे हमारे इस्लाम के ‘संघर्ष’ में बिल्कुल हस्तक्षेप नहीं करें। अगर वह ऐसा करेंगे तो हम उनका सिर काटकर उसे लाल चौक पर लटका देंगे।

 मूसा का शरीयत लागू करने पर बल
ऑडियो में आतंकी मूसा ने कहा कि उसका संगठन कश्मीर में शरीयत कानून लागू करने के लिए संघर्ष कर रहा है न कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए। पांच मिनट के विडियो क्लिप में उसे कहते सुना गया है कि उन नेताओं को समझ लेना चाहिए कि यह इस्लाम के लिए जंग है, शरीयत के लिए जंग है। कश्मीर के लोगों से हुर्रियत के श्पाखंडश् के खिलाफ खड़े होने की अपील करते हुए जाकिर कहता है, हम सभी को अपने धर्म से प्यार करना चाहिए और हमें समझना चाहिए कि हम इस्लाम के लिए लड़ रहे हैं। वे (हुर्रियत समूह) अपनी राजनीति के लिए मस्जिदों का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि जाकिर के इस बयान के बाद हुर्रियत के नेता घबरा गए और उन्होंने फौरन आकाओं से संपर्क किया। सीमा पार से युनाइटेड जिहाद काउंसिल ने हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद को पहले भी निर्देश दिया था कि वे मिलकर काम करें, ताकि उनकी क्षमता बढ़े।
काउंसिल के दायरे में करीब 12 आतंकवादी संगठन बताए जाते हैं। एक बार फिर काउंसिल को बीच-बचाव के लिए आना पड़ा। जाकिर ने इसके बाद हिज्बुल मुजाहिदीन को छोडऩे का ऐलान कर दिया। सूत्रों के मुताबिक मूसा के लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने की चर्चा उठी, लेकिन उसने इससे इनकार किया है। सूत्रों का कहना है कि जाकिर मूसा त्राल का रहने वाला है और वहां उसके साथ 10 से 11 आतंकवादी हैं। ये सभी किसी हाल में मूसा का साथ देने के लिए तैयार हैं। यह चर्चा भी तेज है कि मूसा नया संगठन बनाएगा।

 


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