''विवाहित बेटी को भी प्रॉपर्टी दे सकता है पिता''

punjabkesari.in Thursday, Apr 21, 2016 - 02:19 PM (IST)

नई दिल्ली: पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी और बेटे का हक होता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में एक व्यक्ति को उसकी मौत के बाद पत्नी और इकलौते बेटे के बजाय उसकी शादीशुदा बेटी को उसके को-ऑपरेटिव सोसायटी फ्लैट का कानूनन मालिकाना हक देने का आदेश दिया है। पश्चिम बंगाल सहकारी समितियों नियम, 1987 यह निर्धारित करता है कि को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में किसी फ्लैट का मालिक अपने परिवार से संबंधित किसी भी व्यक्ति को दे सकता है।

इस नियम को अपने बचाव के रूप में देखते हुए मृतक की पत्नी बिस्वा रंजन सेनगुप्ता और बेटे ने पश्चिम बंगाल सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1983 के अन्य प्रावधानों के साथ-साथ पूर्बांचल आवास एस्टेट, साल्ट लेक सिटी, कोलकाता की प्रबंध समिति के प्रावधानों को अदालत में चुनौती देते हुए अपनी विवाहित बेटी इंद्राणी वाही को फ्लैट का मालिकाना नहीं हक देने के साथ ही स्वामित्व हस्तांतरण की मांग की थी।

दरअसल, सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार ने फ्लैट के असली मालिक सेनगुप्ता के उत्तराधिकारी के रूप में इंद्राणी का नाम दर्ज करने से मना कर दिया था जबकि पिता की मौत से पहले इंद्राणी ने ही अंतिम दिनों में पत्नी और बेटे द्वारा दुर्व्यवहार के बाद उनकी देखभाल की थी, इसके चलते वह खुद को सेनगुप्ता की उत्तराधिकारी बता रही थी लेकिन रजिस्ट्रार ने वो फ्लैट इंद्राणी के नाम आवंटित करने से मना दिया था।

इसके बाद इंद्राणी ने हाईकोर्ट में अपील की थी जिसमें हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश वाली बैंच ने फ्लैट इंद्राणी के नाम पर पंजीकृत करने की इजाजत दे दी थी लेकिन वहीं कोर्ट ने यह भी कहा था कि इंद्राणी, सेनगुप्ता की पत्नी और बेटे के साथ संपत्ति की एक शेयरधारक है और वह अन्य शेयरधारकों की सहमति के साथ ही उस संपत्ति का निपटारा कर सकती है। हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश इंद्राणी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
 

न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और सी. नागप्पन की बैंच ने इस मुद्दे पर निर्णय के सभी पहलुओं का विश्लेषण किया और यह फैसला दिया। अदालत ने कहा कि ऐसे मुद्दों से निपटना हमारे लिए आवश्यक नहीं है क्योंकि फ्लैट के मूल मालिक की बेटी इंद्राणी वाही शादीशुदा है और बिस्वा रंजन सेनगुप्ता को ही परिवार के रूप में माना जा सकता है, क्योंकि हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश वाली बैंच ने भी यह निष्कर्ष निकाला है कि वह परिवार के सदस्य थे।

अदालत ने कहा कि सेनगुप्ता के इकलौते बेटे द्वारा अदालत के फैसले को चुनौती नहीं दी गई थी। हालांकि, सहकारी समिति फ्लैट के मालिक के रूप में इंद्राणी का नाम रजिस्टर करने अलावा कोई विकल्प नहीं था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सेनगुप्ता के बेटे के लिए यह मामला उत्तराधिकार फोरम या अन्य मंच पर उठाने के लिए दरवाजे आगे भी खुले रहेंगे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News