Extreme Poverty: भारत में 13 करोड़ लोग अभी भी गरीब, विश्व बैंक की रिपोर्ट में दी गई समस्या के समाधान की समयसीमा

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 09:12 AM (IST)

नेशनल डेस्क: हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत में अभी भी लगभग 13 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। यह आंकड़ा 1990 में 43.1 करोड़ से घटकर 2024 में 12.9 करोड़ पर पहुंच गया है। हालांकि, यह आंकड़ा केवल 2.15 डॉलर प्रतिदिन के मानक पर आधारित है, जो कि वैश्विक स्तर पर अत्यंत गरीब माने जाने वाले लोगों की स्थिति को दर्शाता है। 

गरीबी रेखा की परिभाषा
यह ध्यान रखना आवश्यक है कि गरीबी रेखा का मानक विभिन्न देशों में भिन्न होता है। मध्यम-आय वाले देशों के लिए जो मानक 6.85 डॉलर प्रतिदिन निर्धारित किया गया है, उसके अनुसार, 1990 की तुलना में 2024 में भारत में अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इस तरह, हालात में सुधार की बजाय स्थिति और भी विकट हो गई है।

रिपोर्ट में उल्लेखित कारण
रिपोर्ट के अनुसार, देश में तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस समस्या का एक प्रमुख कारण है। भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, और इसका सीधा असर गरीबी पर पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, विश्व बैंक ने भी कहा था कि 2021 में भारत में अत्यंत गरीब लोगों की संख्या 3.8 करोड़ घटकर 16.74 करोड़ हो गई थी। लेकिन इसके पूर्व के दो वर्षों में इस संख्या में वृद्धि देखी गई थी, जो चिंता का विषय है।

अन्य देशों की स्थिति
विश्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अफ्रीका के सहारा क्षेत्र और अन्य विकासशील देशों में अत्यंत गरीबी की स्थिति और भी विकराल हो चुकी है। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं, जो उनकी जीवनशैली को प्रभावित कर रहे हैं।

गरीबी मिटाने में समय लगेगा
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि "पॉवर्टी, प्रॉस्पेरिटी और प्लानेट: पाथवेज आउट ऑफ द पॉलिक्राइसिस" शीर्षक के तहत, दुनिया में घनघोर गरीबी में कमी आने की रफ्तार ठहर गई है। मौजूदा गति से अगर गरीबी को कम किया जाता रहा, तो इसे समाप्त करने में कई दशक लग सकते हैं। इसके अलावा, रोजाना 6.85 डॉलर से ऊपर उठाने में एक शताब्दी से भी अधिक समय लग सकता है। 

समाधान की दिशा में कदम
इस रिपोर्ट के निष्कर्ष यह संकेत देते हैं कि भारत सहित कई देशों को गरीबी की समस्या से निपटने के लिए ठोस और समग्र कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को न केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूत बनाना चाहिए। समाज के विभिन्न हिस्सों, जैसे कि NGOs, निजी क्षेत्र और स्थानीय समुदायों को मिलकर इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। लोगों को सशक्त बनाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम और रोजगार सृजन योजनाओं का भी कार्यान्वयन आवश्यक है। इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि गरीबी के खिलाफ लड़ाई में एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। यदि जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विकास पर ध्यान नहीं दिया गया, तो गरीबी मिटाने के लक्ष्य को हासिल करना बेहद कठिन हो जाएगा। इसलिए, यह जरूरी है कि सभी stakeholders एक साथ आकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।


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Content Editor

Mahima

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