पर्यावरण संरक्षण व जल संरक्षण समय की जरूरत

punjabkesari.in Friday, Sep 30, 2022 - 09:57 PM (IST)


चंडीगढ़, 30 सितंबर -(अर्चना सेठी) हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा कि भगवान की देन से पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जहां मानव जीवन सम्भव है और यहां पर पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन चक्र चलता आ रहा है। जीवनभर संकट और चुनौतियां आती-जाती रहती हैं। दिन-प्रतिदिन बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण आज मानवता के लिए चुनौती बन गया है। अब हमें पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानकर योजनाएं बनानी होंगी। इसके लिए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों को भी मिलकर कार्य करना होगा।

मुख्यमंत्री आज पंचकूला में आयोजित जिला पर्यावरण योजना के क्रियान्वयन के वार्षिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। समारोह में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति श्री आदर्श कुमार गोयल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा था तो भी हम बेहतर योजनाओं व ईच्छा शक्ति से कार्य कर इस चुनौती से लड़े हैं। आज कई वन्य प्राणियों की प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। विलुप्त वन्य प्राणियों की प्रजातियों को बचाना व जल संरक्षण समय की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जब देश में खाद्यानों का संकट आया था तो उस समय हरित क्रांति का आह्वान किया गया और आज हम देश के लिए खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं बने बल्कि दूसरे देशों को भी अनाज निर्यात करने लगे हैं। परंतु उस दौर में खाद्यान्न की गुणवत्ता को भूलकर रासायनिक खादों का उपयोग कर अधिक मात्रा में उत्पादन करने पर जोर दिया और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति में भी कमी आई। आज उस समस्या से निपटने के लिए प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की अवधारणा को अपनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को विरासत में भू-जल मिले, इसके लिए हरियाणा में मेरा पानी मेरी विरासत योजना लागू की गई है। धान की जगह कम पानी से तैयार होने वाली अन्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज पीने के पानी को बचाना भी चुनौती बनता जा रहा है। अब एसटीपी के उपचारित पानी का पुनः उपयोग हो, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। अब घरों में विशेषकर शहरों में पीने के पानी व अन्य जरूरतों के लिए उपचारित पानी के अलग उपयोग हेतू अलग-अलग पाइप लाइन की व्यवस्था  करनी होगी। योजनाएं बनाने से पहले पुनः उपयोग किस प्रकार से हो इसके लिए पहले विचार करना होगा।

उन्होंने कहा कि नई तकनीक के अनुरूप योजनाएं बनानी होंगी। जितना खर्च आवश्यक है, उतना ही करना चाहिए। हर छोटे शहर में ई-वेस्ट, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन के संयंत्र लगाने होंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में लगभग 18 हजार तालाब हैं, जिनमें से ग्रामीण क्षेत्र में 8 हजार ओवरफ्लो तालाब हैं। ऐसे तालाबों के पानी को उपचारित कर सिंचाई के लिए इसका उपयोग हो, इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई की योजनाएं बनाई जा रही हैं। तालाब के निकट के क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई के लिए तालाब के उपचारित पानी का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा। इसके लिए सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, विकास एवं पंचायत विभाग तथा मिकाडा मिलकर खाका तैयार कर रहे हैं।


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News Editor

Archna Sethi

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