अब बरसात की तरह मिलेगी भूकंप की भी चेतावनी, लाखों जिंदगियां बचाना होगा आसान, जानिए कैसे?
punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 09:18 AM (IST)

नेशनल डेस्क। देश और दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने की दिशा में एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता मिली है। जिस तरह आज हमें बारिश की सटीक जानकारी मिलती है उसी तरह अब भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी विस्फोट की भी सटीक और समय पर चेतावनी मिल सकेगी। यह सब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के संयुक्त मिशन 'निसार' (NISAR) से संभव होने जा रहा है।
दो घंटे से 24 घंटे पहले मिलेगी चेतावनी
इसरो के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि निसार उपग्रह करीब 750 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है और यह जल्द ही काम करना शुरू कर देगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि इन सभी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में दो घंटे से लेकर 24 घंटे पहले तक जानकारी मिल सकेगी जिससे आपदा प्रबंधन में क्रांति आ जाएगी।
निसार को 30 जुलाई को किया था लॉन्च
निसार को 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इस महत्वपूर्ण मिशन पर करीब 13 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जिसमें से एक हजार करोड़ रुपये इसरो ने और शेष राशि नासा ने खर्च की है।
निसार मिशन के अन्य बड़े फायदे
भूकंप और भूस्खलन की चेतावनी के अलावा निसार कई अन्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कार्य भी करेगा:
समुद्री निगरानी: यह हिमखंडों के टूटने और समुद्री सतह के उतार-चढ़ाव की भी सटीक निगरानी करेगा।
ग्लोबल डेटा: यह उपग्रह हर 12 दिन में पृथ्वी की पूरी सतह को स्कैन करेगा और उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा। इस डेटा को भारत और अमेरिका के अलावा अन्य देशों के साथ भी साझा किया जाएगा।
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स्पेस सेक्टर में निजी क्षेत्र का बढ़ता दबदबा
केंद्र सरकार द्वारा लाई गई भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 के बाद देश में निजी क्षेत्रों ने स्पेस सेक्टर में तेज़ी से काम शुरू कर दिया है।
स्टार्टअप्स: इसरो के वैज्ञानिकों का दावा है कि वर्तमान में देश भर में 300 से अधिक कंपनियां और स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
सेना के लिए सर्विलांस: इसरो सेना के लिए स्पेस बेस्ड सर्विलांस-3 (SBS-3) तैयार करवा रहा है। इसके लिए निजी क्षेत्र से करीब 31 सर्विलांस तैयार करवाए जा रहे हैं जिन पर अगले चार वर्षों में करीब 26 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
विश्व स्तर पर 'ऑपरेशन बर्न आउट'
अंतरिक्ष में ऐसे सैटेलाइट्स को खत्म करने की भी तैयारी चल रही है जो अब उपयोगी नहीं रहे हैं। इन अनुपयोगी सैटेलाइट्स को 'बर्न आउट' करने की तैयारी चल रही है। ये पुराने सैटेलाइट 100 वर्ष से लेकर 500 वर्ष तक अंतरिक्ष में घूमते रहते हैं और नए सैटेलाइट के पहुंचने पर हादसे की संभावना बनी रहती है। इस प्रक्रिया में जापान अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इसरो के केंद्र में विक्रम साराभाई स्पेस एग्जिबिशन सेंटर भी है जहां छात्रों को सैटेलाइट और लॉन्च व्हीकल के बारे में जानकारी दी जाती है और उनका प्रवेश निःशुल्क होता है।