street dog attack: दिल्ली में आवारा कुत्तों का हमला: महिला ने मांगा 20 लाख का मुआवजा, हाई कोर्ट ने MCD से मांगा जवाब
punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 08:34 AM (IST)
नेशनल डेस्क: दक्षिण दिल्ली की एक सड़क पर कुछ महीने पहले हुआ कुत्तों का हमला अब कानूनी लड़ाई में बदल गया है। इस घटना में घायल हुई महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए 20 लाख रुपए का मुआवजा मांगा है। उनका कहना है कि इस हमले ने न सिर्फ उनके शरीर को जख्मी किया, बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी तोड़ दिया।
मामला कहां से शुरू हुआ
7 मार्च को मालवीय नगर के खिड़की विलेज रोड के पास महिला प्रियंका राय अपने पति के साथ मोटरसाइकिल पर जा रही थीं। तभी सड़क पर घूम रहे कई आवारा कुत्तों ने उन पर अचानक हमला कर दिया। एक कुत्ते ने उनके पैरों को बुरी तरह काट लिया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं।
इतना मुआवजा क्यों मांगा गया?
प्रियंका राय, जो एक बैंक में सहायक शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं, ने अपनी याचिका में बताया कि हमले के बाद उनके शरीर पर 42 दांतों के निशान बने और 12 सेंटीमीटर लंबे घाव हुए। उन्होंने कहा कि इन घावों और मानसिक पीड़ा के आधार पर उन्हें 20 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए।
मुआवजे की गणना के लिए उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 2023 के एक फैसले का हवाला दिया है। उस फैसले में कहा गया था कि कुत्ते के काटने के मामलों में —
प्रत्येक दांत के निशान पर ₹10,000 का मुआवजा,
और जहां मांस त्वचा से अलग हो जाए, वहां हर 0.2 सेमी पर ₹20,000 का भुगतान किया जाना चाहिए।
इसी गणना से प्रियंका ने 12 लाख रुपए घावों के लिए, 4.2 लाख रुपए दांतों के निशानों के लिए, और 3.8 लाख रुपए मानसिक आघात के लिए मांगे हैं।
कोर्ट की कार्यवाही
मई में इस मामले पर नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद अब 29 अक्टूबर को न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की बेंच ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को अपना जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मुआवजे की मांग के सभी पहलुओं पर निगम को जवाब देना होगा।
‘अब घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है’
प्रियंका के वकील साहेज ने कोर्ट में कहा कि यह हमला सिर्फ एक शारीरिक हादसा नहीं था, बल्कि एक गंभीर भावनात्मक आघात भी था। हमले के बाद प्रियंका हफ्तों तक घर से बाहर नहीं निकल पाईं। उन्हें न केवल चिकित्सा खर्च उठाना पड़ा, बल्कि इलाज और मनोवैज्ञानिक थेरेपी के कारण छुट्टी भी लेनी पड़ी, जिससे उनके करियर पर असर पड़ा।
कानूनी पहलू
वकील का यह भी कहना था कि भले ही पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला दिल्ली हाई कोर्ट पर बाध्यकारी नहीं है, लेकिन उसकी तर्कसंगतता और मानवीय आधार इस मामले में संदर्भ योग्य है। उन्होंने तर्क दिया कि जब कोई व्यक्ति सरकारी निकाय की लापरवाही से ऐसी स्थिति झेलता है, तो उसे पर्याप्त क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए।
राजधानी में बढ़ रहा आवारा कुत्तों का खतरा
दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों से आवारा कुत्तों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। नागरिक निकायों पर नियंत्रण और नसबंदी अभियान को लेकर सवाल उठते रहे हैं। प्रियंका का मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि इस समस्या पर संस्थागत जिम्मेदारी तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कानूनी परीक्षा भी बन गया है।
