क्या ब्लूटूथ हेडफोन से होता है कैंसर? जानिए विशेषज्ञों की राय

punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 07:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आजकल हर किसी के कान में Apple AirPods, Bose या Shokz जैसे वायरलेस हेडफोन या इयरफोन दिखना आम बात है। लेकिन इन आधुनिक गैजेट्स को लेकर एक बड़ा सवाल अक्सर सामने आता है — क्या इनसे कैंसर होने का खतरा है?

यह आशंका इसलिए उठती है क्योंकि ये डिवाइसेज़ रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन (RFR) छोड़ते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह रेडिएशन मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर की आशंका बढ़ा सकता है। हालांकि वैज्ञानिक शोधों की मानें तो अब तक ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है जो इस बात की पुष्टि करे।

ब्लूटूथ डिवाइस और रेडिएशन का कनेक्शन क्या है?
साल 2015 में दुनिया भर के 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) से अपील की थी कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) पर सख्त दिशा-निर्देश लागू किए जाएं।
इन रेडिएशन स्रोतों में मोबाइल फोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ डिवाइस और यहां तक कि बेबी मॉनिटर तक शामिल हैं।

रेडिएशन के प्रकार: जानिए किससे है खतरा
रेडिएशन दो प्रकार के होते हैं:-
- आयोनाइजिंग रेडिएशन – जैसे X-ray और गामा किरणें, जो DNA को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसरजनक माने जाते हैं।

- नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन – जैसे ब्लूटूथ, वाई-फाई और मोबाइल रेडिएशन, जिनकी ऊर्जा DNA को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त नहीं होती।

ब्लूटूथ डिवाइसेज से निकलने वाला RFR बहुत ही कम स्तर का होता है, जो मोबाइल फोन की तुलना में 10 से 400 गुना तक कम होता है।

अब तक की स्टडीज़ क्या कहती हैं?
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) के मुताबिक, ब्लूटूथ से निकलने वाली रेडिएशन इतनी कमजोर होती है कि DNA को कोई नुक़सान नहीं होता। 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि ब्लूटूथ रेडिएशन की ताकत X-Ray के मुकाबले लाखों गुना कम है। अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में ब्लूटूथ डिवाइसेज़ की वजह से ब्रेन कैंसर के मामलों में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं पाई गई है। अमेरिका की FDA, FCC और CDC जैसी संस्थाओं ने भी पुष्टि की है कि Bluetooth डिवाइसेज़ से कैंसर होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। हालांकि, IARC (International Agency for Research on Cancer) ने RFR को “संभावित कैंसरजनक” (Possibly Carcinogenic) की श्रेणी में रखा है, जिसका मतलब है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित घोषित नहीं किया जा सकता।

बच्चों पर प्रभाव को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों की खोपड़ी पतली होती है और उनमें रेडिएशन का असर ज्यादा हो सकता है। हालांकि अब तक ऐसी कोई व्यापक रिसर्च नहीं हुई है जो साबित करे कि ब्लूटूथ डिवाइसेज बच्चों के लिए खतरनाक हैं।


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Content Editor

Harman Kaur

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