डिजिटल भुगतान ने बदली ग्रामीण जिंदगी, नकदी से क्लिक तक का सफर हुआ आसान
punjabkesari.in Sunday, Aug 03, 2025 - 07:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार के बांका जिले के दलिया गांव के निवासी हर शुक्रवार को अपने मोबाइल वॉलेट में पैसे डालने, शहर में रहने वाले बच्चों को पैसे ट्रांसफर करने, बीमा प्रीमियम भरने और बिजली-पानी के बिल चुकाने के लिए इकट्ठा होते हैं। इन सभी सेवाओं में उनकी मदद एक डिजिटल भुगतान बैंक का बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट (बीसी) करता है। देश भर में, खासकर टियर 4+ शहरों और ग्रामीण इलाकों में, लाखों बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट ऐसे काम कर रहे हैं, जो वंचित भारतीयों को औपचारिक बैंकिंग और डिजिटल भुगतान की दुनिया से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग का तेजी से बढ़ता प्रभाव
पहले जहां ग्रामीण लोग डिजिटल बैंकिंग को लेकर सतर्क थे, वहीं अब वे नकदी की जगह मोबाइल ऐप के माध्यम से लेन-देन को प्राथमिकता देने लगे हैं। डिजिटल भुगतान अब केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसके प्रसार का श्रेय भुगतान बैंक उद्योग और मजबूत डिजिटल अवसंरचना को जाता है। आंकड़ों से पता चलता है कि डिजिटल भुगतानों का लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 में 2,071 करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 18,737 करोड़ तक पहुंच गया है, जिसमें 44 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है। मूल्य के संदर्भ में, डिजिटल लेनदेन ₹1,962 लाख करोड़ से बढ़कर ₹3,659 लाख करोड़ हो गए हैं, जो 11 प्रतिशत की CAGR दर्शाता है। यह वृद्धि डिजिटल भुगतानों के प्रति बढ़ते विश्वास, सुरक्षा और सुविधा का परिणाम है।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और UPI का क्रांतिकारी प्रभाव
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) ने भारत में डिजिटल भुगतान के विस्तार में अहम योगदान दिया है। एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI), आधार और निर्बाध अंतर-संचालन जैसे घटक इस बदलाव के केंद्र में हैं। 2016 में लॉन्च हुआ UPI मोबाइल उपकरणों के माध्यम से रीयल-टाइम, चौबीसों घंटे उपलब्ध पेमेंट सिस्टम प्रदान करता है, जो उपयोगकर्ताओं को कई बैंक खातों तक एक ऐप से पहुंच देता है। UPI ने डिजिटल भुगतान को सरल, तेज और सहज बनाया है। अक्टूबर 2024 में UPI के माध्यम से 16.58 बिलियन वित्तीय लेनदेन किए गए, जो पिछले साल अक्टूबर के 11.40 बिलियन लेनदेन से 45 प्रतिशत अधिक हैं। 632 बैंकों के जुड़ने से UPI का विस्तार और बढ़ा है, जो भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जा रहा है।
डिजिटल वॉलेट्स की बढ़ती लोकप्रियता
UPI आधारित डिजिटल वॉलेट्स भी तेजी से नकदी के विकल्प के रूप में उभरे हैं। उपयोगकर्ता अब अपने स्मार्टफोन से त्वरित और परेशानी मुक्त भुगतान कर रहे हैं, जिससे नकदी ले जाने की आवश्यकता कम हो गई है। साथ ही, भुगतान बैंक चेहरे से प्रमाणीकरण जैसी तकनीकों के माध्यम से खाता खोलना और भुगतान करना और भी आसान बना रहे हैं। स्मार्टवॉच जैसे नवाचार भी उपयोगकर्ताओं को एक टैप से भुगतान करने में सक्षम बना रहे हैं।
डिजिटल भुगतान का भविष्य और भारत की कैशलेस अर्थव्यवस्था
भारत तेजी से कैशलेस या कम-नकदी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। मैकिन्से की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर नकदी का उपयोग 4% तक कम हो रहा है। भारत जैसे विकासशील देशों में तत्काल भुगतान नकदी की जगह तेजी से ले रहे हैं। नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) से युक्त ‘रुपे ऑन-द-गो कार्ड’ जैसे नवाचार डिजिटल भुगतान को और अधिक सुलभ और लोकप्रिय बना रहे हैं। व्यवसाय और सरकार के सहयोग से भारत डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में विश्वस्तरीय प्रणाली बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह नकदी से डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ता कदम केवल तकनीकी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन भी है। इसमें उन लाखों बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की भूमिका सराहनीय है, जो देश के कोने-कोने में डिजिटल भुगतान को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।