दिल्ली प्रदूषणः अलग-अलग इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब

punjabkesari.in Wednesday, Nov 07, 2018 - 07:42 PM (IST)

नई दिल्लीः  दिल्ली की वायु गुणवत्ता बुधवार को ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी के बीच बनी रही। अधिकारियों ने आगाह किया कि भले ही आंशिक रूप से विषाक्त पटाखे जलाए जाते हैं तो भी पिछले साल की तुलना में दिल्ली की वायु गुणवत्ता और खराब हो सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 281 दर्ज किया गया जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है।

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केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) ने समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 319 दर्ज किया जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। सीपीसीबी के मुताबिक, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुड़गांव, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ रिकॉर्ड की गई है। दिल्ली के 11 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रही, वहीं 24 क्षेत्रों में ‘खराब’ दर्ज की गई है। बता दें कि 0 से 50 के बीच एक्यूआई 'अच्छा' माना जाता है, 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम' श्रेणी का, 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच एक्यूआई 'गंभीर' माना जाता है।

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सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 143 रिकॉर्ड किया गया, जबकि पीएम 10 का स्तर 281 दर्ज हुआ है। सफर ने बुधवार शाम और गुरुवार को वायु गुणवत्ता के बहुत खराब रहने का अनुमान जताया है। सरकारी एजेंसी ने चेताया है कि बुधवार और गुरुवार को पीएम 2.5 और पीएम10 के उच्चतम स्तर पर रहने का अनुमान है। 2017 की तुलना में आंशिक रूप से विषाक्त पटाखे जलाने के बावजूद गुरुवार को वायु गुणवत्ता खराब होगी, लेकिन शुक्रवार से वायु गुणवत्ता में सुधार होना शुरू होगा।

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सफर के मुताबिक, दिल्ली के पड़ोसियों राज्यों में पराली जलाने और पटाखे जलाने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। सफर ने यह भी अनुमान जताया था कि अगर पटाखे जलाए जाते हैं तो दिल्ली में गुरुवार को पीएम-10, 578 और पीएम-2.5, 378 पर पहुंच जाएगा, जो इस साल की सबसे बदतर वायु गुणवत्ता होगी। भारतीय उष्ण कटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) ने कहा कि उत्तर-पश्चिमी दिशा से आने वाली हवाएं बायोमास के प्रभाव को दिल्ली-एनसीआर में ला रही हैं, जो गुरुवार सुबह तक जारी रह सकती है। आईआईटीएम ने कहा कि हवा की दिशा में बदलाव, वायु की गति में कमी तथा बायोमास के जलाने की वजह से पीएम 2.5 में बढ़ोत्तरी हुई है।


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Yaspal

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