धूल की चादर से ढक गई दिल्ली, PM10 लेवल 3826 पार...18 मई तक नहीं सुधरेंगे हालात, बरतें ये सावधानियां

punjabkesari.in Tuesday, May 16, 2023 - 07:33 PM (IST)

नेशनल डेस्कः दिल्ली में मंगलवार को धूलभरी तेज हवाएं चलने के कारण पीएम 10 प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया तथा धूलकणों में वृद्धि के साथ ही धूल भरे कोहरे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रात: तीन बजे से छह बजे तक धूल भरी आंधी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली जिससे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के समीप पालम वेधशाला में पूर्वाह्न 10 बजे दृश्यता घटकर महज 700 मीटर रह गई जो बीती सुबह नौ बजे 4000 मीटर थी। दिल्ली में मंगलवार को अपराह्न तीन बजे संपूर्ण वायु गुणवत्ता सूचकांक 260 रहा जो सोमवार को अपराह्न चार बजे 162 था।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़े में जहांगीरपुरी में पीएम 10 स्तर प्रति घनमीटर 3,826 माइक्रोग्राम तथा सर अरबिंदो मार्ग पर प्रति घनमीटर 2,565 माइक्रोग्राम था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पीएम 10 स्तर प्रति घन मीटर 100 माइक्रोग्राम (24 घंटे की अवधि के लिए) सुरक्षित माना जाता है।

डीपीसीसी के आंकड़ों के अनुसार सुबह के समय पीएम 10 स्तर बढ़कर विवेक विहार में प्रति घनमीटर 1,542 माइक्रोग्राम, आर के पुरम में प्रति घनमीटर 1,296 माइक्रोग्राम, पटपड़गंज में प्रति घनमीटर 1,807 माइक्रोग्राम, नरेला में प्रति घनमीटर 1,663 माइक्रोग्राम, अलीपुर में प्रति घनमीटर 1,957 माइक्रोग्राम, द्वारका सेक्टर आठ में प्रति घनमीटर 1,661 माइक्रोग्राम, मुंडका में प्रति घनमीटर 1,456 माइक्रोग्राम, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में प्रति घनमीटर 1,662 माइक्रोग्राम, वजीरपुर में प्रति घनमीटर 1,527 माइक्रोग्राम और अशोक विहार में प्रति घनमीटर 1,580 माइक्रोग्राम रहा।

मौसम विज्ञान कार्यालय द्वारा जारी सेटेलाइट तस्वीरों में पश्चिम भारत के एक बड़े हिस्स में धूल की मोटी परत नजर आ रही है। मौसमविज्ञानियों ने पश्चिमोत्तर भारत में भयंकर गर्मी, वर्षा के अभाव में मिट्टी फैलने और तेज हवा चलने को इस धूलभरे मौसम के लिए जिम्मेदार ठहराया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि धूल के कण, विशेष रूप से महीन कण पदार्थ (पीएम2.5), सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं। वे फेफड़ों में परेशानी पैदा कर सकते हैं, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी जैसी श्वसन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा, "धूल प्रदूषण के कारण ब्रोंकाइटिस, ब्रोन्कियल अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों को अधिक खतरा होता है। इससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है और अटैक आ सकता है।" डा. किशोर ने कहा कि ऐसे लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि हवा की गुणवत्ता में सुधार होने तक घर के अंदर ही रहें और गीले कपड़े से अपनी नाक और मुंह ढक लें। उन्होंने कहा कि सरकार तब तक निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकती है।

18 मई को बारिश होने की संभावना
मौसम विभाग का कहना है कि अगले एक से दो दिनों में स्थिति में सुधार हो सकता है। इसके साथ ही 18 मई को बारिश होने की भी उम्मीद है। आईएमडी की ओर से जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पश्चिमोत्तर भारत के एक बड़े हिस्से पर धूल की एक मोटी परत चढ़ी हुई है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि धूलभरी हवा चलने की वजह से बीते पांच दिनों में पश्चिमोत्तर भारत में उमस भी बढ़ी।


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Content Writer

Yaspal

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