अभी जेल में ही रहेंगे अरविंद केजरीवाल, ED की अर्जी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

punjabkesari.in Friday, Jun 21, 2024 - 05:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से अभी बाहर नहीं आएंगे, ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। गुरुवार का राउज एवेन्यू कोर्ट ने शराब घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी थी। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया। अब हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानता पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। ऐसे में अभी केजरीवाल को कुछ दिन जेल में और गुजारने पड़ेंगे, दिल्ली हाईकोर्ट दो से तीन दिन में इस पर फैसला सुनाएगा।

न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की अवकाश पीठ ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को प्रभावी ढंग से रोकते हुए कहा, "जब तक उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई नहीं करता, तब तक रुकें। ट्रायल कोर्ट (राउज़ एवेन्यू) के समक्ष कोई कार्यवाही तब तक शुरू नहीं होगी जब तक कि दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई नहीं कर लेता।"

राउज एवेन्यू अदालत में गुरुवार को न्यायमूर्ति न्याय बिंदु की अवकाश पीठ ने केजरीवाल को जमानत दे दी, साथ ही आदेश पर 48 घंटे की रोक लगाने के ईडी के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एजेंसी को अपना मामला पेश करने का उचित अवसर नहीं दिया गया। राजू ने कहा, "आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया है। हमें विरोध करने का उचित अवसर नहीं मिला है।"

उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें मामले पर बहस करने या लिखित प्रस्तुतियाँ दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया था, और उन्होंने इस प्रक्रिया पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "अवकाश न्यायाधीश के समक्ष मेरी दलीलें कम कर दी गईं। हमें प्रत्युत्तर का विकल्प नहीं दिया गया है यह बिल्कुल भी उचित नहीं है।"

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 का हवाला देते हुए, राजू ने अदालत से जमानत आदेश पर रोक लगाने और मामले की विस्तार से सुनवाई करने की अनुमति देने का आग्रह किया। ईडी की चुनौती के खिलाफ बचाव करते हुए वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए। चौधरी ने जवाब दिया, "ये सभी दलीलें सही नहीं हैं। उन्होंने लंबी बहस की। सात घंटे की बहस पर्याप्त नहीं है? किसी को शालीनता से कुछ स्वीकार करना चाहिए।" राजू ने प्रतिवाद करते हुए तुरंत रुकने की मांग पर जोर दिया। "यह एक दिन के लिए भी नहीं रुक सकता जब सरकारी वकील को बहस करने के अवसर से भी वंचित कर दिया गया।"

 

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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