Delhi Blast: जिस संदिग्ध लाल गाड़ी की थी तलाश, वह फरीदाबाद में ईदगाह से मिली
punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 08:13 PM (IST)
नेशनल डेस्क : दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को एक और बड़ी सफलता मिली है। फरीदाबाद पुलिस ने संदिग्ध दूसरी कार (फोर्ड इकोस्पोर्ट, नंबर DL10CK0458) बरामद की है। यह कार खंदावली गांव के पास खड़ी मिली। जांच में पता चला है कि यह कार उमर नबी के नाम पर है, जो इसका दूसरा मालिक था। कार का पहला मालिक देवेंद्र है — वही नाम जो उस i20 कार की ओनरशिप में भी सामने आया था, जिसमें धमाका हुआ था। अब पुलिस यह जांच रही है कि क्या दोनों वाहनों का मालिक एक ही देवेंद्र है या दो अलग-अलग व्यक्ति।
उमर नबी की संदिग्ध गतिविधियां
ब्लास्ट से पहले उमर नबी की गतिविधियों को लेकर भी नया खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, धमाके से ठीक पहले उमर कमला मार्केट थाने के पास स्थित एक मस्जिद गया था। वह वहां करीब 10 मिनट तक रुका और फिर लाल किले की ओर निकल गया। अब जांच एजेंसियां उमर के सभी मूवमेंट्स और संपर्कों की गहराई से जांच कर रही हैं।
डॉ शाहीन के जरिए जैश-ए-मोहम्मद की फंडिंग
जांच में यह भी सामने आया है कि लेडी डॉक्टर शाहीन को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से फंडिंग मिल रही थी। सूत्रों के अनुसार, शाहीन वेस्टर्न यूपी में जैश के महिला विंग के लिए रिक्रूटमेंट सेंटर खोलने में जुटी थी। इसके लिए उसे जैश से टेरर फंडिंग की गई थी। शाहीन सहारनपुर और हापुड़ में ऐसे मिनी रिक्रूट-कमांड सेंटर बनाना चाहती थी, जो शहर से थोड़ा बाहर हों और जहां गतिविधियां कम दिखाई दें। एजेंसियों को शक है कि फंडिंग और नेटवर्क विस्तार में शाहीन की अहम भूमिका थी।
मिले विदेशी फंडिंग के सुराग
शाहीन, आदिल, उमर और मुजम्मिल के बैंक खातों की जांच में एजेंसियों को विदेशी फंडिंग के भी सुराग मिले हैं। शाहीन के अकाउंट में संदिग्ध विदेशी लेनदेन की पुष्टि हुई है, जिसके बाद उससे लगातार पूछताछ की जा रही है। इसी कड़ी में मौलवी इरफान अहमद का नाम भी सामने आया है, जो कथित तौर पर जैश कमांडर के संपर्क में था। उसे भी आतंकी संगठन की तरफ से फंडिंग की जा रही थी।
धार्मिक फंड के नाम पर आतंकी गतिविधियां
जांच में यह भी सामने आया है कि शाहीन और इरफान गरीब मुस्लिम बच्चियों और महिलाओं के मदरसे और जकात फंड के नाम पर पैसे जुटा रहे थे। एजेंसियों का मानना है कि इन पैसों का इस्तेमाल विस्फोटक सामग्री खरीदने और रेकी गतिविधियों के लिए किया गया। सबसे बड़ा खुलासा यह है कि शाहीन सीधे जैश सरगना अजहर मसूद की बहन सहीदा अजहर के संपर्क में थी। जांच एजेंसियां अब पूरे फंडिंग नेटवर्क और आतंकी मॉड्यूल की जड़ तक पहुंचने के प्रयास में जुटी हैं।
