Maha Kumbh 2025 : करोड़ों श्रद्धालु और कचरे का नामो निशान नहीं !
punjabkesari.in Sunday, Jan 19, 2025 - 08:23 PM (IST)
नेशनल डेस्क, नरेश कुमार : प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में अब तक 6 दिनों में 7 करोड़ लोगों ने पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई है और रोजाना प्रयागराज में करीब 20 लाख लोगों का आवागमन हो रहा है लेकिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आवागमन के बावजूद मेला क्षेत्र में कचरे का नामो निशान नहीं है। मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के साथ साथ मेला प्राधिकरण भी साफ़ सफ़ाई का ख़ास ध्यान रख रहा है। मेले में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए प्रशासन एक श्रद्धालु एक थैला , स्वच्छ मेला नाम की मुहिम भी चला रहा है और तमाम तरीकों से मेले को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
सह मेला अधिकारी एस डी एम विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि मेले में लगाए जाने वाले लंगर के दौरान जो भी कचरा पैदा हो रहा है उसके प्रबंध के लिए विशेष टीम काम कर रही है और सफाई व्यवस्था के लिए 15000 से ज़्यादा सफ़ाई कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं। इस दौरान मेला क्षेत्र में पैदा होने वाले सारे कचरे के प्रोसेसिंग के लिए इसे बदियाल स्थित प्रोसेसिंग प्लांट में भेजा जा रहा है। इसके साथ ही मेला क्षेत्र में हर 50 मीटर की दूरी पर डस्टबिन लगाए गए हैं और श्रद्धालु ख़ुद भी मेला क्षेत्र में सफ़ाई को लेकर सजग हैं और इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इन डस्टबिन को ख़ाली करने के लिए टीमों की ड्यूटी लगाई गई है और सफ़ाई के काम को लगातार मानिटर भी किया जा रहा है।
इतना ही नहीं मेला क्षेत्र के अलावा पवित्र संगम में स्नान के दौरान घाटों की सफ़ाई का भी ख़ास ध्यान रखा जा रहा है और घाटों पर भी सफ़ाई का काम लगातार जारी है और इस काम में स्थानीय एन जी ओ के कार्यकर्ता भी प्रशासन की मदद कर रहे हैं।
मेला क्षेत्र में सफ़ाई के अलावा जो करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगा रहे हैं वहाँ पानी में भी सफ़ाई की विशेष व्यवस्था है। संगम के तमाम घाटों पर सफ़ाई सेवकों की टीमें तैनात हैं जो श्रद्धालुओं द्वारा स्नान के बाद पानी में बहाए जा रहे फूलो और नारियल को पानी में से जाली के माध्यम से निकालने के काम में जुटी हैं। पानी का बी ओ डी लेवल भी लगातार मॉनिटर किया जा रहा है और पानी की गुणवत्ता में पिछले कुंभ के मुकाबले काफ़ी सुधार हुआ है।
पिछले 2 साल में प्रयागराज क्षेत्र में ही गंगा में गिराए जाने वाले गंदे पानी के 81 रास्ते बंद किए गए हैं और गंदे पानी का फ्लो में गंगा में रुकने से पानी की गुणवत्ता सुधरी है। इसी प्रोजेक्ट में नमामि गंगे को भी साथ जोड़ा गया है एयर नमामि गंगे के तहत हो रहे काम का भी पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ा है और पानी पहले के मुकाबले काफ़ी साफ़ हो गया है।