भारत के फैसले से वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर संकट के बादल ! चावल की कमी और बढ़ती कीमतें बढ़ाएंगी गरीबों की मुश्किलें

punjabkesari.in Tuesday, Aug 22, 2023 - 11:04 AM (IST)

वाशिंगटन:  दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह चावल से जुड़े कुछ निर्यात पर पाबंदी लगाएगा। दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले देश का यह प्रयास चुनावी साल से पहले घरेलू कीमतों पर नियंत्रण के लिए है, लेकिन इससे दुनियाभर के जरूरतमंद लोगों के लिए करीब 95 लाख टन चावल की उपलब्धता कम हो जाएगी, चावल की यह मात्रा चावल के कुल वैश्विक निर्यात का पांचवां हिस्सा है। भारत के इश फैसले से वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।  फ्रांसिस नेजे को यकीन नहीं है कि अफ्रीका की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती में उसके ग्राहक उससे चावल खरीदना जारी रख सकेंगे या नहीं। केन्या में उत्पादित चावल की कीमतें कुछ समय पहले खाद की ऊंची कीमतों और ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका' में सालभर तक सूखा पड़ने के कारण बढ़ गईं, क्योंकि सूखा पड़ने से अनाज का उत्पादन घट गया।

 

भारत से आयातित सस्ते चावल ने इस कमी को दूर किया और इससे नैरोबी की किबेरा बस्ती के हजारों लोगों में से बहुतों का भरण-पोषण हो सका। इस बस्ती के लोग दो डॉलर की दैनिक आय पर गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हैं। लेकिन अब स्थिति बदल रही है। जून से 25 किलोग्राम वाली चावल की बोरी की कीमत अब पांच गुना बढ़ चुकी है। थोक विक्रेताओं को अभी नयी खेप मिलने का इंतजार है, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह चावल से जुड़े कुछ निर्यात पर पाबंदी लगाएगा।

 

दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले देश का यह प्रयास चुनावी साल से पहले घरेलू कीमतों पर नियंत्रण के लिए है, लेकिन इससे दुनियाभर के जरूरतमंद लोगों के लिए करीब 95 लाख टन चावल की उपलब्धता कम हो जाएगी, चावल की यह मात्रा चावल के कुल वैश्विक निर्यात का पांचवां हिस्सा है। पिछले 30 साल से चावल बेच रहे 50 वर्षीय नेजे ने कहा, ‘‘मुझे वाकई उम्मीद है कि आयात जारी रहेगा।'' यूक्रेन को गेहूं के निर्यात की अनुमति देने वाले समझौते को लेकर रूस के गतिरोध और मौसम को प्रभावित करने वाली अल-नीनो जैसी भौगोलिक अवधारणा के कारण चावल के उत्पादन में आई कमी से वैश्विक खाद्य सुरक्षा पहले से खतरे में है। अब चावल की कीमतें बढ़ रही हैं। वियतनाम में चावल का निर्यात मूल्य 15 साल में सर्वाधिक दर्ज किया गया है। इससे कुछ बहुत गरीब देशों के वंचित लोग सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।

 

भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध से पहले भी कुछ देश यह अनुमान लगाकर अंधाधुंध तरीके से चावल खरीद रहे थे कि अल-नीनो के प्रभाव से चावल की किल्लत होगी, इससे आपूर्ति प्रभावित हुई और कीमतें बढ़ गईं। हालात इससे भी बदतर तब हो सकते हैं जब गैर-बासमती चावल पर भारत की ओर से लगाए गए प्रतिबंध का अनुसरण अन्य देश भी करते हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने पहले ही अपने घरेलू भंडार को बनाए रखने के लिए चावल निर्यात को निलंबित कर दिया है। दूसरा खतरा यह है कि अगर चरम मौसम अन्य देशों में चावल की फसल को नुकसान पहुंचाता है तो उत्पादन और घटेगा। अफ्रीका में चावल का उपभोग बढ़ा है और ज्यादातर देश इसके लिए आयात पर निर्भर हैं। हालांकि सेनेगल जैसे कई देश खुद चावल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अन्य देशों को इसमें मुश्किल हो रही है।

 

डकार में पांच बच्चों के 52 वर्षीय बेरोजगार पिता अमाडू खान ने कहा कि उनके बच्चे नाश्ते को छोड़कर हर पहर के भोजन में चावल खाते हैं। उन्होंने कहा कि सेनेगल में आयातित चावल (70 फीसदी भारत से आयातित) बहुत महंगा हो गया है, इसलिए वे देश में उत्पादित चावल खा रहे हैं, जिसकी कीमत दो तिहाई है। विश्व का 90 फीसदी चावल उत्पादित करने वाले एशियाई देश भी कम उत्पादन की समस्या से जूझ रहे हैं। फिलीपीन में समुद्री चक्रवात ने इसके उत्तरी हिस्से में चावल की फसल को बर्बाद कर दिया जिससे 320 लाख डॉलर का नुकसान हुआ। नुकसान की मात्रा वार्षिक उत्पादन की 22 फीसदी आंकी गई। चीन के बाद फिलीपीन दुनिया का चावल का सबसे बड़ा आयातक है। एक अन्य चावल निर्यातक वियतनाम को भी कमाई की उम्मीद है। वियतनाम ने निर्यात किये जाने वाले चावल की कीमत बढ़ा दी है, जो 15 साल में सर्वाधिक है।

 


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Content Writer

Tanuja

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