कोरोना वायरस : संसदीय समिति ने की राष्ट्रीय जैव सुरक्षा नीति बनाने की सिफारिश

punjabkesari.in Saturday, Mar 07, 2020 - 08:24 PM (IST)

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने भी कोरोना वायरस के संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को विभिन्न प्रकार के वायरस के संक्रमण के खतरों से निपटने के लिए‘राष्ट्रीय जैव सुरक्षा नीति' बनाने की सिफारिश की है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति की इस सप्ताह संसद में पेश रिपोर्ट में मंत्रालय के चिकित्सा अनुसंधान विभाग (डीएचआर) को जैव सुरक्षा संबंधी ऐसी नीति बनाने की सिफारिश की है जो विभिन्न प्रकार के खतरनाक वायरस के प्रकोप से जुड़े भविष्य के संभावित खतरों से निपटने की ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत करती हो। 

राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस के संकट का हवाला देते हुए डीएचआर, खासकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का बजट आवंटन भी बढ़ाने की सिफारिश की है जिससे वायरस जनित प्रकोप के खतरों से निपटने की दिशा में आवश्यक शोध कार्य कर पुख्ता नीति बनाई जा सके। समिति ने चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में आईसीएमआर की अब तक की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को परिषद की मांग के मुताबिक बजट आवंटन करना चाहिए। 

समिति ने सरकार से कोरोना वायरस के प्रकोप से उत्पन्न मौजूदा स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए कहा है। साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम में ‘मिशन शक्ति' को सख्ती से लागू करने की भी सिफारिश की है। समिति ने इसके लिए डीएचआर और आईसीएमआर का देशव्यापी नेटवर्क बढ़ाने और कैंसर की आणविक पद्धति से पहचान करने की सेवा का दायरा भी बढ़ाने को कहा है। समिति ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शोध पर अन्य विभागों की तुलना में सबसे कम बजट आवंटन पर भी चिंता जताते हुए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया, जिससे देश भर में चिकित्सा अनुसंधान केन्द्रों का दायरा बढाया जा सके।

समिति ने कहा है कि सरकार को इसे स्वास्थ्य की दिशा में बेहतर भविष्य का श्रेष्ठतम निवेश समझना चाहिए। कोरोना वायरस के मौजूदा संकट का जिक्र करते हुए समिति ने इसका यथाशीघ्र इलाज खोजने के लिए शोध गतिविधियों को तेज करने की तत्काल जरूरत पर बल दिया। समिति ने उम्मीद जताई कि आईसीएमआर इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से अहम भूमिका निभाएगा जिससे इस वायरस का भारतीय संसाधानों पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव न हो।


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shukdev

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