बिल गेट्स का भारत को ‘laboratory’ कहने पर विवाद, सोशल मीडिया पर भड़के भारतीय यूजर्स
punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2024 - 09:45 AM (IST)
नेशनल डेस्क: माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और प्रसिद्ध तकनीकी उद्योगपति बिल गेट्स के एक हालिया बयान ने सोशल मीडिया पर विवाद पैदा कर दिया है। गेट्स ने भारत को ‘प्रयोगशाला’ कहते हुए यह टिप्पणी की कि यहां पर विभिन्न क्षेत्रों में नई-नई नीतियों और योजनाओं का परीक्षण किया जाता है। उनके इस बयान के बाद भारतीय यूजर्स ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और गेट्स की आलोचना शुरू कर दी है।
गेट्स ने क्या कहा था?
यह बयान गेट्स ने हाल ही में इंटरनेट उद्यमी और पॉडकास्टर रीड हॉफमैन के पॉडकास्ट में दिया। गेट्स का कहना था कि भारत एक ऐसी जगह है, जहां कई चीजें बहुत कठिन होती हैं, लेकिन यहां के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के क्षेत्रों में लगातार सुधार हो रहा है। गेट्स ने बताया कि भारत में सरकारी व्यवस्थाएं स्थिर हैं और सरकार अपने दम पर पर्याप्त राजस्व जुटा रही है। उन्होंने कहा कि अगले 20 वर्षों में भारतीय समाज में चमत्कारिक सुधार देखने को मिलेंगे। इसके बाद उन्होंने भारत को ‘प्रयोगशाला’ के रूप में संदर्भित किया, जहां नई योजनाओं और विचारों को प्रयोग के तौर पर लागू किया जाता है और फिर उन्हें वैश्विक स्तर पर फैलाया जाता है। गेट्स ने यह भी कहा कि उनके फाउंडेशन का सबसे बड़ा कार्यालय भारत में है, और भारत में उनकी कई पहलों की शुरुआत हुई है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत में उनके द्वारा किए गए कई प्रोजेक्ट्स और इनोवेशन, जैसे कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में, सफलता की ओर बढ़ रहे हैं और इनका माप-तौल कर अन्य देशों में लागू किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर मचा विवाद
गेट्स के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भारतीयों की कड़ी प्रतिक्रियाएं आईं। कई यूजर्स ने गेट्स के बयान को भारतीयों का अपमान मानते हुए उन पर निशाना साधा। एक यूजर ने गेट्स के बयान को अपमानजनक बताते हुए कहा कि "भारत के लिए प्रयोगशाला शब्द का प्रयोग गेट्स के मानसिकता को दिखाता है। क्या हम भारतीयों को केवल परीक्षण के नमूने समझते हैं?" इस यूजर ने भारतीय सरकार, विपक्ष और मीडिया को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि गेट्स का कार्यालय भारत में बिना एफसीआरए (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रिगुलेशन एक्ट) के संचालित हो रहा है, जबकि भारतीय शिक्षा व्यवस्था ने उन्हें हीरो बना दिया है। कई अन्य यूजर्स ने भी गेट्स के बयान पर सवाल उठाया। एक यूजर ने यह आरोप लगाया कि जब गेट्स और उनके जैसे अन्य लोग भारत में अपनी योजनाओं का परीक्षण करते हैं, तो भारतीय नागरिकों को केवल ‘प्रयोगशाला के नमूने’ के रूप में देखा जाता है। जब ये प्रयोग सफल हो जाते हैं, तो उन्हें अमेरिका और अन्य देशों में लागू किया जाता है, और भारतीयों को उनका कोई श्रेय नहीं मिलता।
कुछ यूजर्स ने किया गेट्स का बचाव
हालांकि, गेट्स के बयान का कुछ लोगों ने बचाव भी किया है। एक यूजर ने कहा, "गेट्स के बयान का गलत अर्थ निकाला गया है। उनका इरादा भारत के विकास को वैश्विक स्तर पर प्रेरणा देने के रूप में था, न कि भारतीयों को प्रयोग के तौर पर देखने का।" एक अन्य यूजर ने कहा, "भारत में वैक्सीनेशन जैसे महत्वपूर्ण मामलों में गेट्स और उनके फाउंडेशन ने बहुत योगदान दिया है। इसलिए, उनके खिलाफ षड्यंत्रकारी रवैया अपनाने की कोई आवश्यकता नहीं है।"
गेट्स के बयान का वैश्विक संदर्भ
गेट्स के बयान का उद्देश्य भारत में चल रहे विकास प्रयासों को वैश्विक स्तर पर मान्यता देना था। वह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे सुधारों को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे। उनका यह भी कहना था कि भारत के लोगों की स्थिति अगले दो दशकों में बेहतर हो जाएगी और यह देश अन्य देशों के लिए एक मॉडल बन सकता है। गेट्स के फाउंडेशन द्वारा भारत में किए गए कामों को देखते हुए कई लोग यह मानते हैं कि उनका उद्देश्य भारत की चुनौतियों को समझना और उनके समाधान पर काम करना है, न कि इसे केवल एक प्रयोगशाला के रूप में देखना। बिल गेट्स के बयान ने स्पष्ट रूप से भारतीयों के बीच एक बड़ी बहस को जन्म दिया है। जबकि गेट्स का उद्देश्य शायद भारत के विकास की दिशा को सम्मान देना था, उनकी 'प्रयोगशाला' वाली टिप्पणी ने उनके शब्दों को लेकर भ्रम और विवाद पैदा कर दिया। सोशल मीडिया पर गेट्स के खिलाफ समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इस मुद्दे पर अब आगे आने वाले दिनों में और अधिक चर्चाएं हो सकती हैं।