इंटरनेट पर सामग्री बहुत सावधानी से अपलोड की जानी चाहिए : दिल्ली उच्च न्यायालय
punjabkesari.in Friday, Oct 10, 2025 - 06:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं के लिए चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इंटरनेट पर प्रत्येक सामग्री को बहुत सावधानी से डाला जाना चाहिए, विशेषकर तब जब अपलोड करने वाले के पास बड़ी संख्या में दर्शक हों और समाज पर उसका प्रभाव हो। उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल उस पर लगाए गए युक्तिसंगत प्रतिबंधों की सीमाओं के भीतर किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि जब कोई अभिव्यक्ति अपमान, अपमानजनक व्यवहार या उकसावे की सीमा पार कर जाती है, तो वह मान-सम्मान के अधिकार से टकरा जाती है। न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों के लिए बस एक चेतावनी। इंटरनेट ने ज्ञान के प्रसार को तीव्र करके उसे आसानी से सुलभ बना दिया है। इसके साथ ही, इसने हर आयु वर्ग के लोगों को एक बड़ा दर्शक वर्ग भी दिया है।''
न्यायमूर्ति डुडेजा ने कहा, ‘‘इस प्रकार, इंटरनेट पर कोई भी सामग्री तेजी से फैलने वाली होती है और बड़ी संख्या में लोगों के लिए सुलभ होती है। इंटरनेट पर प्रत्येक सामग्री को बहुत सावधानी से अपलोड किया जाना चाहिए, खासकर जब अपलोड करने वाले व्यक्ति के पास बड़ी संख्या में दर्शक हों और समाज पर उसका गहरा प्रभाव हो।'' अदालत ने यह टिप्पणी अभिनेता एजाज खान को जमानत देते हुए की, जिन पर यूट्यूबर हर्ष बेनीवाल की मां और बहन के खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील टिप्पणी करने का आरोप है। अदालत ने कहा कि चूंकि खान और बेनीवाल दोनों ही ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर' हैं और उनके पास बड़ी संख्या में दर्शक हैं, इसलिए उन्हें अपनी पोस्ट को लेकर सतर्क रहना चाहिए। इसने कहा, ‘‘दर्शक उनके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री से प्रभावित हो सकते हैं और इस प्रकार, भले ही सामग्री को उनके द्वारा पोस्ट करने के बाद हटा दिया गया हो, यह दर्शकों के एक बड़े समूह तक पहुंच जाएगी।''
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न्यायमूर्ति डुडेजा ने बृहस्पतिवार को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘किसी भी सामग्री को पोस्ट करने से पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल उस व्यक्ति विशेष पर, बल्कि उसके प्रशंसकों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।'' अभिनेता को राहत देते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला याचिकाकर्ता के फोन से रिकॉर्ड किए गए वीडियो पर आधारित है, जो पहले से ही मुंबई पुलिस के पास है। इसने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता खान से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, विशेषकर जब संबंधित दस्तावेज अब उसके पास नहीं हैं। अदालत ने कहा कि तदनुसार, गिरफ्तारी की स्थिति में, याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी या जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए 30,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत देने पर रिहा किया जाएगा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार अभिनेता पर एक सोशल मीडिया वीडियो में शिकायतकर्ताओं के विरुद्ध लैंगिक आधार पर गाली-गलौज, अश्लीलता और डिजिटल मानहानि का आरोप लगाया गया था। उन पर बीएनएस की धारा 79 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, हावभाव या कृत्य) और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था। दूसरी ओर, खान ने दावा किया कि उनका वीडियो बेनीवाल द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो का बदला लेने के लिए बनाया गया था, जिसमें अपमानजनक शब्दों, गालियों और अश्लील इशारों का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने वह वीडियो हटा दिया है।