जयराम रमेश बोले- PM मोदी के करीबियों को और अमीर बनाने के मकसद से तैयार किए गए बिजली के टेंडर
punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2024 - 03:04 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने सोमवार को महाराष्ट्र और राजस्थान में बिजली खरीद से संबंधित निविदाओं पर सोमवार को सवाल खड़े किए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों को और अमीर बनाने के मकसद से इन्हें तैयार किया गया है।
भाजपा शासित राज्यों में नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के क़रीबियों को और अमीर बनाने के उद्देश्य से लिए जाने वाले फैसलों का टेंपो तेज़ होता जा रहा है। राजस्थान और महाराष्ट्र में दो बड़े बिजली टेंडर इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं ताकि बोली लगाने वालों की संख्या कम हो और करदाताओं का और…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 23, 2024
'करदाताओं का और भी ज्यादा पैसा ‘मोदानी' के पास जाए...'
कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यदि ऐसा होगा तो यह प्रतिस्पर्धा को सीमित कर देगा और चंद लोगों के एकाधिकार को बढ़ावा देगा। रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा शासित राज्यों में प्रधानमंत्री के करीबियों को और अमीर बनाने के उद्देश्य से लिए जाने वाले ‘फैसलों की रफ्तार' तेज होती जा रही है। राजस्थान और महाराष्ट्र में दो बड़ी बिजली निविदाएं इस तरह से तैयार की गई हैं ताकि बोली लगाने वालों की संख्या कम हो और करदाताओं का और भी ज़्यादा पैसा ‘मोदानी' के पास जाए।''
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों राज्य सरकारों ने थर्मल और सौर ऊर्जा स्रोतों में बिजली की संयुक्त ख़रीद के लिए निविदा जारी की हैं। सम्मिलित रूप से होने वाली इस ख़रीद से बड़ी कंपनियों को लाभ होगा जो दोनों क्षेत्रों में काम करते हैं।'' रमेश ने दावा किया कि ये निविदाएं ‘‘मोदानी'' के पहले से तय निवेश से पूरी तरह मेल खाती हैं। उनका कहना था, ‘‘राजस्थान में जारी निविदा में स्पष्ट रूप में कहा गया है कि सौर ऊर्जा राज्य के भीतर से खरीदी जानी चाहिए और ‘मोदानी' की पहले से ही राजस्थान में एक सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना है। महाराष्ट्र में जारी निविदा अन्य राज्यों में पहले से तय निवेश से मेल खाती हुई दिखती है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर कहीं से भी बिजली खरीदने की इजाज़त है।''
'प्रधानमंत्री के मित्र, उपभोक्ताओं और करदाताओं की कीमत पर लाभ कमाएंगे'
रमेश ने दावा किया, ‘‘इसका नतीजा भी विनाशकारी होने जा रहा है। यह एक प्रमुख उद्योग में प्रतिस्पर्धा को सीमित कर देगा और चंद लोगों के अधिकार को बढ़ावा देगा। साथ ही लंबी अवधि में कीमतों के कम होने की संभावना को कम कर देगा। हमेशा की तरह, प्रधानमंत्री के मित्र, उपभोक्ताओं और करदाताओं की कीमत पर लाभ कमाएंगे।''