Parliament: कांग्रेस नेता ने महिला आरक्षण बिल को झुनझुना करार दिया, कहा- जनगणना व परिसीमन के पहले लागू किया जाए

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2023 - 01:00 PM (IST)

 

नेशनल डेस्क: लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले विधेयक को सत्तारूढ़ भाजपा का ‘चुनावी एजेंडा' और ‘झुनझुना' करार देते हुए कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में मांग की कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए। कांग्रेस सदस्य रंजीत रंजन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस विधेयक के पीछे षडयंत्र नजर आता है क्योंकि सरकार साढ़े नौ साल बाद इसे लेकर आई है।

संसद के विशेष सत्र की क्या जरूरत थी?
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023' पर उच्च सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए रंजन ने कहा कि 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र में महिला आरक्षण की बात की गई थी लेकिन उसने इसे पेश करने में इतना लंबा समय लगा दिया। उन्होंने सवाल किया कि इस विधेयक के लिए संसद के विशेष सत्र की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद इस विधेयक के जरिए भी सुर्खियां बटोरना है।
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बिले के जरिए सरकार झुनझुना दिखा रही
उन्होंने इस विधेयक को चुनावी एजेंडा करार देते हुए कहा कि क्या सरकार इसके जरिए ‘‘झुनझुना'' (बच्चों का एक खिलौना) दिखा रही है। रंजन ने कहा कि सरकार का इरादा परिसीमन के बाद सीटों की संख्या में वृद्धि कर आरक्षण मुहैया कराना है ताकि पुरुषों की सीटों की संख्या नहीं घटे। उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछ़ड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं को भी अधिकार दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राजनीति के दलदल में अकेली महिलाओं का उतरना कठिन होता है। ऐसे में उन्हें अधिकारसंपन्न बनाने की जरूरत है।

बिल के नाम पर जताई आपत्ति
विधेयक के कानून बनने इसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम' कहे जाने का जिक्र करते हुए रंजन ने इस नाम पर आपत्ति जताई और कहा कि समानता महिलाओं का संवैधानिक अधिकार है और इसे दैविक या पूजा से जोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा नीत सरकार भले ही महिलाओं के वंदन की बात करती है लेकिन उसकी कथनी और करनी में भारी अंतर है। उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार को महिलाओं को उचित सम्मान ही देना था तो उसने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके आदिवासी समाज से आने वालीं महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को क्यों नहीं आमंत्रित किया।
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महिलाएं किसी दया की पात्र नहीं
उन्होंने कहा कि जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के धरने का मामला हो या मणिपुर में महिलाओं के उत्पीड़न का मामला, सरकार के रुख को सबने देखा है। उन्होंने कहा कि जब सत्ता पाने की जरूरत होती है तो महिलाओं की वंदना की जाती है। रंजन ने कहा कि महिलाएं किसी दया की पात्र नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि महिलाओं के मामले में पुरुषों की मानसिकता दोहरी होती है और वे महिलाओं को सम्मान एवं समानता देने के समय अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। 

 


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Content Editor

rajesh kumar

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