China से उठ रहा निवेशकों का भरोसा, विदेशी निवेशकों ने निकाला ज्यादा पैसा

punjabkesari.in Monday, Nov 11, 2024 - 07:48 PM (IST)

नैशनल डैस्क : खुद को दुनिया का सबसे बड़ा ताकतवर देश बताने वाला चीन फिलहाल अर्थव्यस्था के मामले में मात खाते हुए नजर आ रहा है। भले ही चीन ने पिछले हफ्ते अपनी सुस्त अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 1.4 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज का ऐलान किया। आकर्षक स्टॉक मार्केट वैल्यूएशन्स के कारण विदेशी निवेशक पहले ही चीन में पैसा लगाना शुरू कर चुके थे। ऐसा लग रहा था कि अर्थव्यवस्था जल्द ही बेहतर होगी, लेकिन विदेशी निवेशकों का उनपर भरोसा उठता नजर आ रहा है। 

दरअसल, हाल ही में आए आंकड़े कुछ और ही कहानी बयान कर रहे हैं। पिछले महीने के दौरान विदेशी निवेशकों ने चीन से ज्यादा पैसा निकाला, जो यह दर्शाता है कि निवेशकों में अब भी सावधानी बरती जा रही है, भले ही चीन अपनी अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए कदम उठा रहा हो और इस पैकेज की घोषणा कर चुका हो। ब्लूमबर्ग द्वारा उद्धृत राज्य विदेशी मुद्रा प्रशासन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चीन में तीसरी तिमाही के दौरान विदेशी निवेश में $8.1 बिलियन की गिरावट आई है।

PunjabKesariविदेशी निवेश में आई कमी

पिछले तीन सालों में, देश में विदेशी निवेश में काफी कमी आई है, जिसका मुख्य कारण बढ़ती भूराजनीतिक तनाव और चीन की आर्थिक स्थिति को लेकर संदेह है। अगर यह गिरावट जारी रही, तो यह 1990 के बाद पहला साल होगा जब चीन में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का वार्षिक शुद्ध बहिर्वाह होगा। एलारा सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "पिछले 2 हफ्तों में चीन में विदेशी फंड में कमी आई है। 5 हफ्तों में $19.2 बिलियन का निवेश आने के बाद, अब 2 हफ्तों में $2 बिलियन का ही निवेश हुआ है। इन $2 बिलियन के निवेश में से $800 मिलियन अमेरिकी फंड्स से आए हैं। जापान में भी इसी तरह का रुझान दिख रहा है, जहां अमेरिकी फंड्स ने 2 हफ्तों में कुल $720 मिलियन के निवेश में से $320 मिलियन निकाल लिए हैं।"

Donald Trump की जीत से चीन टेंशन में

निवेश में गिरावट के कई कारण हैं, लेकिन हाल ही में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम ने चीन के लिए अब और भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। डोनाल्ड ट्रंप का "अमेरिका पहले" दृष्टिकोण, या MAGA (Make America Great Again), चीन की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को धीमा कर सकता है। उनके टैरिफ नीति और चीन विरोधी रणनीतियाँ चीन की वृद्धि में रुकावट डाल सकती हैं। कॉर्पोरेट स्तर पर भी कई कंपनियों ने इस साल चीन में अपनी गतिविधियां घटा दी हैं, जिनमें वाहन निर्माता कंपनियाँ निसान और फोक्सवैगन शामिल हैं। जुलाई में, जापान की कंपनी निप्पोन स्टील ने चीन में एक संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने की घोषणा की। आईबीएम भी चीन में अपना हार्डवेयर रिसर्च टीम बंद कर रहा है, जिससे लगभग 1,000 कर्मचारियों पर असर पड़ा है।


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News Editor

Rahul Singh

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