नारी बनी चंद्रयान-2 की शक्ति, मिशन की कामयाबी के पीछे 30% महिलाएं

punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2019 - 04:24 PM (IST)

नेशनल डेस्कः इसरो ने समोवार को सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की। चंद्रयान-2 कामयाबी में महिलाओं ने भी अहम भूमिका निभाई है। दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया। चंद्रयान-2 चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। यह वह अंधेरा हिस्सा है जहां उतरने का किसी देश ने साहस नहीं किया है।

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इन महिलाओं का अहम रोल
एम वनिता

मिशन चंद्रयान 2 में परियोजना निदेशक एम. वनिता एक इलेक्ट्रानिक सिस्टम इंजीनियर हैं। वनिता प्रारंभ में इस ऐतिहासिक दायित्व को संभालने के लिए तैयार नहीं थीं लेकिन बाद में इसरो सेटेलाइट सेंटर डायरेक्टर एम अन्नादुरई के समझाने पर वह यह जिम्मेदारी लेने पर सहमत हुईं।
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रितु करिधल
चंद्रयान मिशन निदेशक रितु करिधल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। लखनऊ में पली-बढ़ी करीधल को बचपन में इस पर बहुत ताज्जुब होता था कि "चांद का आकार कैसे घटता बढ़ता रहता है, वह यह भी जानना चाहती थी कि चांद के काले धब्बों के पीछे क्या था। यह सब सवालों के जवाब के लिए उन्होंने विज्ञान की पढ़ाई की। वे 18 साल से ज्यादा समय से इसरो में काम कर रही हैं। वे मंगल अभियान में भी शामिल थीं। यह अभियान 2012 के अप्रैल में शुरू हुआ और कामयाब रहा। इन दो महिला वैज्ञानिकों के अलावा अभियान से जुड़े सदस्यों में करीब 30 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है।

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उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2008 में चंद्रयान-1 और 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन को अंजाम दिया गया था। यह भारत का तीसरा मिशन है। जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल मार्क 3 भारत में अब तक बना सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, इसे बाहुबली नाम दिया गया है। यह चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा तक ले जाएगा।

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Seema Sharma

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