चंद्रयान-2: लैंडर और रोवर मिलकर खोलेंगे चांद के कई बड़े रहस्य
punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2019 - 08:56 AM (IST)

नेशनल डेस्कः विक्रम और बेताल की कथा तो आपने सुनी होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक नई विज्ञान गाथा लिख रहा है। यह गाथा है विक्रम और प्रज्ञान की। यहां विक्रम की पीठ पर लदा है प्रज्ञान, जिसे लेकर वह चांद की कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। ...और सात सितंबर को तड़के जैसे ही विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा, प्रज्ञान बाहर आएगा और कहेगा ‘विक्रम! अब मैं चला। प्रज्ञान चांद की सतह पर घूम-घूम कर बहुत से रहस्य खोलेगा। विक्रम भी जानकारियां जुटाएगा और धरती पर हम तक पहुंचाएगा।
असल में विक्रम नाम है चंद्रयान-2 के लैंडर का जो चांद की सतह पर उतरेगा। उसका यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसके साथ भेजा गया प्रज्ञान एक छह पहियों वाला रोवर है। इनका एक और साथी ऑर्बिटर है। वह साल भर तक चांद की कक्षा में रह कर बहुत-सी जानकारियां जुटाएगा और इसरो को भेजेगा।
ये तीनों चांद पर क्या करेंगे, यही बताती है सुधीर राघव की यह रिपोर्ट...
1. रंभा : चांद के आयन मंडल का परिवर्तनशील प्लाज्मा वातावरण है। ऐसे में रेडियोएनाटॉमी में सक्षम यह उपकरण चांद की सतह पर इलेक्ट्रॉन घनत्व और सूर्य प्रकाश के विभिन्न काल में चांद पर होने वाले प्लाज्मा घनत्व परिवर्तन को मापने में सक्षम है।
2. चास्टे : चांद की सतह के नीचे गहराई में हर 10 सेमी पर ताप के अंतर को जांचेगा। यह दो मोड में काम करेगा। पेसिव मोड में यह विभिन्न गहराइयों पर तापमान का अंतर बताएगा। एक्टिव मोड में यह समयांतराल के साथ ताप परिवर्तन और सुचालकता परिवर्तन की जांच करेगा।
3. इलसा : इसमें लगा सिस्मोमीटर चंद्रकंप के दौरान प्रति मिनट विस्थापन, वेग और उत्प्रेरण का पता लगाएगा। इसका प्रमुख काम लेंडिंग साइट की साइस्मिसिटी पता लगाना है। इसमें दो तरह के सेंसर लगे हैं। एक क्रॉस रेंज सेंसर है तो दूसरा फाइन रेंज सेंसर।
1. अल्फा पार्टीकल एक्स-रे स्पैक्टोमीटर : यह उपकरण लैंडिंग साइट के आसापास चांद की तत्व संरचना का पता करेगा। इसके लिए एक्स-रे फ्लोरसेंस स्पैक्ट्रोस्कोपी तकनीक का इस्तेमाल करेगा। उच्च ऊर्जा के अल्फा पार्टीकल के लिए इसमें रेडियो एक्टिव तत्व क्यूरियम -244 का इस्तेमाल किया गया है। इनकी मदद से यह चांद की चट्टानों में मौजूद सभी तत्वों जैसे सोडियम, मेग्नेशियम, सिलिका, केल्शियम, टाइटेनियम, आयरन, स्ट्रॉंटियम, यत्रियम और जिरकोनियम का पता लगाएगा।
2. लिब्स : लेजर युक्त यह स्पेक्ट्रोस्कोप चांद की सतह पर तत्वों का विश्लेषण करेगा। किन तत्वों की चांद की मिट्टी और चट्टानों में प्रचुरता है। इसका अध्ययन करेगा। इससे चांद के बनने के संबंध में कुछ ठोस जानकारियां मिलेंगी। यह उपकरण उच्च क्षमता की लेजर किरणों छोड़ेगा और आसपास उत्पन्न रेडिएशन का पता करेगा। यह रेडिएशन प्लाज्मा के क्षय होने से पैदा होता है।
चांद की सतह पर लंबे समय तक रहेगा भारत का राष्ट्रीय चिन्ह और इसरो का प्रतीक
चांद की सतह पर उतर कर जब रोवर प्रज्ञान चलेगा तो उसके एक पहिए से अशोक स्तंभ से लिया गया राष्ट्रीय चिन्ह और दूसरी तरफ के एक पहिए से इसरो का प्रतीक चिन्ह बनेगा। चांद पर जहां तक ये रोवोर घूमेगा ये चिन्ह वहां लंबे समय तक रहेंगे, क्योंकि चांद पर वायुमंडल नहीं है।
मंगलवार को क्या हुआ
सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर लैंडर विक्रम ने सफलतापूर्वक चंद्रकक्षा बदली। इसरो के अनुसार इसके लिए चार सैकेंड के लिए प्रपल्शन सिस्टम को ऑन किया गया। विक्रम अब 104 किलोमीटर गुना 128 किलोमीटर की कक्षा में है। बुधवार को यह फिर से कक्षा बदलकर चांद के काफी निकट पहुंच जाएगा।