कुमारस्वामी व अनंत कुमार में मीटिंगों का सिलसिला

punjabkesari.in Sunday, Apr 29, 2018 - 01:57 AM (IST)

नेशनल डेस्कः कर्नाटक में कमल के प्रस्फुटन को लेकर भाजपा में किंचित संशय का आलम है, प्रदेश में जहां कांग्रेस के हौसले बम-बम हैं, वहीं भाजपा में चीनी कम है। इसे देखते हुए दक्षिण भारत के एक बड़े सियासी नटराज अनंत कुमार फौरन हरकत में आ गए, अनंत एंड कम्पनी को लगता है कि इस दफे राज्य में त्रिशंकु विधानसभा हो सकती है। इस कयास के हिडोलों पर सवार अनंत जे.डी.एस. के कुमारस्वामी को साधने में जुट गए हैं।

सूत्रों की मानें तो अनंत कुमार और कुमारस्वामी में इस बात को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। पर इन बैठकों का अब तलक कोई लबोलुआब नहीं निकल पाया है। चूंकि, कुमारस्वामी का मानना है कि कर्नाटक में जो भी अगली सरकार बनेगी वह जे.डी.एस. के समर्थन से बनेगी, सो अगर उनकी पार्टी किंग मेकर की भूमिका में आती है फिर तो सी.एम. भी जे.डी.एस. का ही होना चाहिए यानी खुले तौर पर कुमारस्वामी खुद को सी.एम. कैंडीडेट मान कर चल रहे हैं। वैसे भी कुमारस्वामी के लिए भाजपा एक सहज च्वॉइस है क्योंकि उनके पिता एच.डी. देवेगौड़ा और कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया में छत्तीस का आंकड़ा है। देवेगौड़ा ने चुनावी सभाओं में अपना यह दर्द बयां करने से संकोच नहीं किया है कि सिद्धारमैया उनकी छवि धूमिल करना चाहते हैं।

देवेगौड़ा के तार कांग्रेस से जुड़े पर देवेगौड़ा के एक पुराने मित्र ऐसे भी हैं जो उनके तार सीधे कांग्रेस से जोडऩे में मदद कर रहे हैं और ये नेता हैं शरद यादव, जिनके समर्थकों ने हालिया दिनों एक नई राजनीतिक पार्टी की बुनियाद डाली है। वैसे भी पिछले काफी समय से जे.डी.एस. प्रमुख एच.डी. देवेगौड़ा शरद यादव और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख सीताराम येचुरी के संपर्क में हैं। देवेगौड़ा चाहते हैं कि इस दफे के कर्नाटक चुनाव में ये दोनों लोग और उनकी पाॢटयां जे.डी.एस. के समर्थन में अलख जगाएं पर जब पिछले दिनों शरद यादव कर्नाटक में थे तो उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने की खुली घोषणा कर दी, वहीं इस मुद्दे पर अभी तक येचुरी ने चुप्पी साध रखी है, वह न तो जे.डी.एस. और न ही कांग्रेस को समर्थन देने की बात कह रहे हैं, पर सी.पी.एम. से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि वामपंथी दलों ने अपने जमीन से जुड़े  कार्यकत्र्ताओं को अंदरखाने से यह खबर भिजवा दी है कि उन्हें कांग्रेस के समर्थन में काम करना है। कहते हैं कि शरद यादव ने अपने पुराने मित्र एच.डी. देवेगौड़ा को इस बारे में आश्वस्त किया है कि जे.डी.एस. और कांग्रेस के बीच मित्रता और चुनाव पश्चात् गठबंधन के द्वार खुले रहेंगे यानी जे.डी.एस. एक साथ दो मोर्चों पर काम कर रही है, जहां पिता देवेगौड़ा कांग्रेस से तार भिड़ा रहे हैं वहीं पुत्र कुमारस्वामी भगवा उम्मीदों का कमल खिला रहे हैं।

बेंगलूर में शाह का बंगला
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले 6 दिनों से कर्नाटक में ही डेरा-डंडा जमाया हुआ है। सूत्रों की मानें तो शाह के लिए सैंट्रल बेंगलूर में 6 कमरों का एक आलीशान मकान किराए पर लिया गया है, जहां शाह अपने लाव-लश्कर के साथ रहा करते हैं। शाह से नियमित तौर पर मिलने वाले नेताओं में मुरलीधर राव, प्रकाश जावड़़ेकर, अनंत कुमार, बी.एस. येद्दियुरप्पा और बी.एल. संतोष का नाम लिया जा सकता है। बी.एल. संतोष को मोहन भागवत और मोदी का आदमी माना जाता है। सूत्र बताते हैं कि अनंत कुमार भी सीधे मोदी को रिपोर्ट कर रहे हैं। बी.एल. संतोष को मुख्यमंत्री पद का एक प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, शायद यही वजह है कि जब शाह येद्दियुरप्पा को मिलने के लिए बुलाते हैं तो संतोष को इस बात की भनक नहीं होती और जब संतोष शाह से मिलने पहुंचते हैं तो येद्दियुरप्पा को इस बात का इल्म नहीं होता।

त्रिपुरा सी.एम. के समक्ष चुनौतियां
त्रिपुरा में जब से कमल खिला है और बिप्लब देब वहां के नए मुख्यमंत्री बने हैं, आए दिन उन्हें नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के यह नए-नवेले मुख्यमंत्री जब पहली दफे मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे तो उन्हें वहां राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें भी नदारद मिलीं, उनकी जगह जो तस्वीरें सी.एम. हाऊस की दीवारों की शोभा बढ़ा रही थीं वे स्टालिन और माक्र्स की थीं। सूत्रों की मानें तो यहां तक कि सी.एम. हाऊस से राष्ट्रीय ध्वज भी नदारद था। कमोबेश यही हाल राज्य के अन्य सरकारी दफ्तरों का भी था। इतिहास की पुस्तकें लाल क्रांति और लाल गौरव से रंगी पड़ी थीं। अब सी.एम. सब बदलवा रहे हैं, लाल पर भगवा का मुलम्मा चढ़वा रहे हैं।

अदालत व सरकार में तकरार
न्यायपालिका और सरकार के बीच रिश्तों में आई तल्खी कम होती नहीं दिख रही। ताजा मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ   जस्टिस एम. जोसेफ का है, जब सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति की सिफारिश की फाइल पी.एम. ने पुनॢवचार के लिए वापस भेज दी। कहा गया कि कॉलेजियम जिन नामों की सिफारिश करे, सरकार उसे मानने को बाध्य नहीं और न ही इसके लिए सिर्फ  वरिष्ठता को आधार माना जा सकता है। वैसे भी जस्टिस चेलामेश्वर की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए सरकार ने जस्टिस दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जस्टिस मिश्रा की कुर्सी पर जस्टिस रंजन गोगोई काबिज होंगे या जस्टिस मिश्रा के कार्यकाल को 2 वर्षों का एक्सटैंशन मिलेगा?

सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार चीफ  जस्टिस के कार्यकाल को 65 वर्ष की जगह 67 वर्ष करने पर विचार कर रही है। मनमोहन सिंह भी 2010 में 114वां संविधान संशोधन विधेयक लाना चाहते थे, ताकि देश के मुख्य न्यायाधीश की रिटायरमैंट की उम्र 67 वर्ष की जा सके, पर कुछ कारणों से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। भाजपा सरकार के पास ऐसा संशोधन लाने का पूरा आधार है, पर इसमें दिक्कत सिर्फ  एक है कि यह एक संवैधानिक संशोधन होगा, जिसकी तपिश से गुजरने के लिए भगवा पार्टी को तैयार रहना होगा।

असीमानंद पर असीम कृपा
स्वामी असीमानंद अब मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस से बरी हो चुके हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब भाजपा हाईकमान उनकी सेवाएं पश्चिम बंगाल चुनाव में लेना चाहता है। सनद रहे कि असीमानंद का असली नाम नबा कुमार सरकार है, जो मूल रूप से पश्चिम बंगाल से ही हैं। यह काफी समय से संघ और उसके आनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण केंद्र से जुड़े रहे हैं। इन्होंने अकेले पुरुलिया में 25 से ज्यादा आदिवासी छात्रावास बनाए हैं, आदिवासी लोगों के बीच इनकी काफी अच्छी पकड़ है, सो कहना न होगा कि भाजपा राज्य के आदिवासी मतदाताओं को गोलबंद करने में असीमानंद की एक पुख्ता भूमिका चाहती है।

...और अंत में
भाजपा ने 2019 के चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है, अमित शाह ने भाजपा के लगभग 150 सांसदों को संकेत दे दिया है कि वे अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं, भाजपा के 282 सांसद जीत कर आए थे यानी 130-132 सांसदों की गर्दन पर अभी भी तलवार लटक रही है कि उनका टिकट कट सकता है। - त्रिदीब रमण                         


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