Brain Tumor Warning: अगर आपको भी दिख रहे हैं ये लक्षण, तो तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क

punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 09:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिमाग हमारे शरीर का सबसे जटिल और महत्वपूर्ण अंग होता है, जो सोचने, याद रखने, निर्णय लेने और पूरे शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित करता है। लेकिन जब दिमाग में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। यह समस्या किसी भी उम्र और लिंग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है और इसका प्रभाव शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सभी स्तरों पर महसूस होता है।

ब्रेन ट्यूमर क्या है?

ब्रेन ट्यूमर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैंः

प्राइमरी ट्यूमर – ये ट्यूमर सीधे मस्तिष्क या उसके आसपास के ऊतकों में बनते हैं।

सेकेंडरी या मेटास्टैटिक ट्यूमर – ये शरीर के अन्य हिस्सों (जैसे फेफड़े, स्तन, किडनी) से मस्तिष्क तक फैलते हैं।

कुछ ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जिससे शुरुआती लक्षण नजरअंदाज हो सकते हैं, वहीं कुछ ट्यूमर तेजी से फैलते हैं और लक्षण तुरंत सामने आते हैं।

ब्रेन ट्यूमर के सामान्य लक्षण

- लगातार सिरदर्द, विशेषकर सुबह के समय

- मतली या उल्टी

- आंखों की समस्याएं धुंधलापन, दोहरा दिखना या दृष्टि में कमी

- संतुलन की समस्या

- हाथ-पैरों में सुन्नता या कमजोरी

- बोलने-सुनने में परेशानी

- थकान, भूलने की समस्या और व्यवहार में बदलाव

कई बार ब्रेन ट्यूमर धीरे-धीरे विकसित होता है

कई बार ब्रेन ट्यूमर धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग उन्हें आम स्वास्थ्य समस्याएं मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे "साइलेंट लक्षण" में स्मृति और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, नींद में अनियमितता, गंध या स्वाद की क्षमता में बदलाव, बोलने में कठिनाई, धीरे-धीरे दृष्टि में गिरावट, हाथ-पैर में हल्की झुनझुनी या सुन्नता और हल्का लेकिन लगातार बना रहने वाला सिरदर्द शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये लक्षण अगर लंबे समय तक बने रहें तो इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें, क्योंकि समय पर पहचान ही ब्रेन ट्यूमर के इलाज की दिशा में पहला और सबसे अहम कदम होता है।

ब्रेन ट्यूमर का इलाज कैसे होता है?

ब्रेन ट्यूमर का इलाज कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे ट्यूमर का आकार, स्थान और वह किस प्रकार का है — कैंसरयुक्त (मैलिग्नेंट) या गैर-कैंसरयुक्त (बेनाइन)। आमतौर पर इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी का सहारा लिया जाता है। कुछ मामलों में इम्यूनोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी भी कारगर होती हैं। इसके साथ ही सहायक देखभाल (Palliative Care) द्वारा मरीज की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समय रहते जांच की जाए और सही इलाज शुरू किया जाए, तो मरीज की स्थिति में काफी सुधार लाया जा सकता है और गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

कब हो अलर्ट? 

- लगातार सिरदर्द जो दवा से ठीक न हो

- नजर में अचानक बदलाव

- चलने में असंतुलन या अचानक बेहोशी के दौरे

- व्यवहार में असामान्य परिवर्तन


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Content Editor

Sahil Kumar

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