भारत से बदला लेना चाहता है चीन ?

punjabkesari.in Wednesday, Jul 20, 2016 - 08:36 PM (IST)

कश्‍मीर में जारी हिंसा पर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के अलावा अब चीन भी हस्तक्षेप करने की फिराक में हैं। जब आतंकी बुरहान की मौत पर 19 जुलाई को जहां पाकिस्तान ने काला दिवस मनाया गया तो इस पर चीन ने बयान जारी कर दिया कि उम्मीद है कि इस घटना को सही ढंग से संभाला लिया जाएगा। चीन यह नसीहत पाकिस्तान को दे रहा था या भारत को।

नहीं चाहिए सलाह

यह स्पष्ट है कि बुरहान इनामी आतंकी था। वह सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ मारा गया। पाकिस्तान द्वारा उसे शहीद करार देना और उसकी मौत के विरोध में काला दिवस मनाना दुनिया में उसकी आलोचना का कारण बन सकता है। हैरानी की बात है कि पाकिस्तान की मदद करने वाला चीन भी इसमें कूद पड़ा है। भारत को अपने मामलों को कैसे संभालना है इसके लिए चीन से सलाह नहीं मांगी गई। पाकिस्तान उसका पिछलग्गू देश है, वह उसे  कैसी सलाह देता है, यह वह जानें।

आतंरिक मामला

सवाल उठता है कि कश्मीर में हुई झडपों में कुछ लोगों के मारे जाने पर चीन क्यों चिंतित है। यह भारत का आतंरिक मामला है, वह क्यों उम्मीद करने लगा कि हालात को सही ढंग से संभाल लिया जाएगा और संबंधित पक्ष बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से मुद्दा निवारण कर लेंगे। चीन को इस मामले से संबंधित खबरों का संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है। वह यह क्यों बता रहा है कि कश्मीर का मुद्दा इतिहास से जुडा है। चीन का निरंतर एक ही रुख बना हुआ है। 

चीन भी रोटियां सेकने लगा

गौरतलब है कि चीन जम्मू-कश्मीर के किसी भी घटनाक्रम पर चीन कभी—कभार ही टिप्पणी करता है। बीते 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झडपें हुई थीं। उसमें 39 लोगों की मौत हुई है। इस घटना के बाद कश्मीर पर पाकिस्तान ने निंदा करना,कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने की मांग करना और काला दिवस की घोषणा कर दी थी। अब इस आग में चीन भी अपनी रोटियां सेंकने लगा है।

दक्षिणी चीन सागर पर बौखलाया

दक्षिणी चीन सागर पर हेग की अदालत के फैसले से बौखलाया चीन दावा करने लगा था कि दुनिया के 70 देश इस मामले में उसके साथ हैं। इनमें भारत को भी शामिल कर लिया गया कि वह भी चीन के रुख का समर्थन करता है। जबकि भारत के विदेश मंत्रालय ने अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया था कि इस मुद्दे को बिना शक्ति का इस्तेमाल किए शांतिपूर्ण ढंग से निपटाया जाना चाहिए। वैसे भी भारत दक्षिणी चीन सागर चीन द्वारा कब्जा जमाने के प्रयासों की निंदा करने वाले देशों में भारत भी शामिल रहा है। ऐसे बयान जारी करके कहीं भारत के इस रुख से नाराज चीन उससे बदला तो नहीं लेना चाहता ?

 
 

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