‘कांग्रेसियों की बर्बादी के पीछे उनके कर्म और मेरी बद्दुआ भी : अरूसा आलम’
punjabkesari.in Wednesday, Feb 09, 2022 - 08:09 AM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के प्रधान कैप्टन अमरेंद्र सिंह की दोस्त और पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा आलम ने पंजाब की राजनीति पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सिल्वर प्लेट में रखकर कैप्टन को बीजेपी को डिलीवर किया है। अरूसा कहती हैं कि कैप्टन और सोनिया गांधी एक-दूसरे का बहुत ज्यादा सम्मान करते थे, लेकिन अफसोस अब कांग्रेस ने कैप्टन को खो दिया। पंजाब राजनीति को लेकर पत्रकार अरूसा आलम से पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार के लिए अकु श्रीवास्तव ने विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश
Q. आप इस समय पाकिस्तान में हैं। यहां के लोगों के प्रति आपका प्यार रहा है। यहां के चुनावों को लेकर तो आप रूचि लेती होंगी। कैसा लग रहा है चुनावों को लेकर?
A. मैं तो चैनल्स के माध्यम से ही देख रही हूं। मुझे लग रहा है कि पंजाब में कहीं खिचड़ी सी पक गई है। किस-किस हद तक जाकर एक-दूसरे पर इल्जामात लगा रहे हैं और प्वाइंट स्कोरिंग कर रहे हैं। जैसा प्रचार होना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा। कुछ जो यहां से महसूस होता है, मेरा ख्याल है कि आम आदमी पार्टी का स्कोर अच्छा रहेगा। बेशक मैज्योरिटी पार्टी साफ तौर से न दर्ज करे लेकिन ये अच्छा स्कोर करेंगे। कांग्रेस को मुझसे ज्यादा कौन जानेगा। कांग्रेस को मैं बहुत सीमित होता देख रही हूं। अभी तक एक टीम के रूप में कांग्रेस वहां पर खुद को पेश नहीं कर पाई है। हर जगह ये शक पड़ रहा है कि रंधावा नवजोत सिद्धू को अंडरमाइन कर रहे हैं। नवजोत सिद्धू चन्नी को अंडरमाइन कर रहे हैं। इनकी कैंपेन गंभीर नहीं है। मेरे ख्याल से इन्होंने सभी सिटिंग विधायकों को जो टिकट दिए हैं, वो भी एक गलत स्टे्रटजी थी। लोग कहते हैं मुझे ये तकलीफ है, मुझे ये तकलीफ है। 5 साल पहले आपने उसे जो दवाई दी, वो उससे ठीक नहीं हुआ और आप फिर जाकर उसको वही गोली पकड़ा देंगे तो ये कभी काम नहीं करेगी। जहां-जहां इन्होंने सिटिंग विधायकों को टिकट दिए हैं, वहां की आवाम अच्छी तरह से जानती है कि ये लोग किन-किन चीजों में शामिल थे। कैप्टन अमरेंद्र सिंह को आपने निकालकर क्या समझा कि आपके पर निकल आए हैं और आप फरिश्ते बन गए हैं। हैं तो आप ही लोग, जो मिनिस्टर थे, जो चला रहे थे। बदनामी कैप्टन के सिर पर डाल दी कि वो काम नहीं करते थे। बहरहाल, मैं सोचती हूं कि चन्नी के ऊपर जो ई.डी. का जो एक्शन हुआ, उसके बाद बहुत ही बचकाना बात थी कि ऐसे सी.एम. फेस अनाऊंस करें। आपको क्या पता है कि ई.डी. के पिटारे में क्या क्या है। मेरे ख्याल में इनको चाहिए था कि ये विदाऊट फेस इलैक्शन में जाते।
Q. पंजाब में जिस तरह से कांग्रेस के हालात हैं, उसका जिम्मेदार आप किसे मानती हैं?
A. कांग्रेस के डाऊनफॉल जो है, उसका कारण इनकी अपनी सैंट्रल लीडरशिप है। वहां से जो डिसीजन मेकिंग है वो कोई अच्छी क्वालिटी की नहीं हो रही है और धीरे-धीरे कांग्रेस पूरे भारत में अपनी जगह खोते जा रही है। दूसरा जो मुझे बहुत अजीब लगता है कि ये रीजनल लीडर्स को कभी ऊपर नहीं आने देते। उसे सिर्फ शक की निगाह से देखते हैं। तीसरा जब अपना कोई लीडर बना देते हैं, जैसे चीफ मिनिस्टर बना दिया तो उसके साथ चैक मेट लगा देते हैं। जहां कैप्टन साहब के साथ सिद्धू को खुला छोड़ दिया। जाओ जाकर जो मर्जी करो। यहां पर मैं समझती हूं कि उन्हें पता नहीं किसने राय दी कि आप कैप्टन को हटाओ और उसके बाद आप बताइए कौन अपने कमांडर्स इस तरह से बदलता है। कैप्टन साहब इतने अच्छे इंसान हैं। सोनिया गांधी उन्हें बुलाती, इन दोनों को बैठाती। यकीन मानें की ये सब बहुत आसानी से हैंडल हो जाता। इन्होंने इतनी खिचड़ी पकाकर, साजिश बनाकर ऐसी सिचुएशन बना दी, अपनी पार्टी के साथ इमेज का भी सत्यानाश किया और उस शरीफ आदमी का भी जिसका इतना बेदाग पॉलिटिकल करियर था, उसको भी आपने ऐसे जलील किया।
Q. क्या सिर्फ यही मामला था कि वो उम्र के इस दौर में थे कि उनको अब कांग्रेस दोबारा नहीं लड़ाना चाहती थी या कुछ और बातें थी, जिससे कांग्रेस अमरेंद्र सिंह के साथ में नहीं थी?
A. ये कांग्रेस का एक मिजाज था कि ये रीजनल लीडर की आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं और जहां-जहां इन्होंने अपनी स्टेट खोई है, वहां सिर्फ कारण यही रहा कि ये रीजनल लीडरशिप को आगे नहीं बढऩे देते। साढ़े चार साल तक कांग्रेस को कैप्टन की उम्र का ख्याल नहीं आया और उसके बाद अचानक कैसे ख्याल आया। अगर यही बात थी तो फिर बुलाकर बात करते। ये क्या तरीका कि आप बच्चों की तरह इसको फोन कर रहे हैं, उसको फोन कर रहे हैं। चलो आज कैप्टन के खिलाफ मीटिंग है। मैच्योर पार्टी ऐसे व्यवहार नहीं करती।
Q. हम सब जानते थे कि आप उनकी अच्छी दोस्त हैं व आपका उनका रिलेशन अच्छा है लेकिन उस रिलेशन को एक दायरे में देखने की कोशिश क्यों की गई, आपने ये सोचा कभी?
A. जी बिल्कुल सोचा है इंडिया और पाकिस्तान के दरमियान बहुत आसानी से अगर आपने किसी को चेंज करना हो, बदलाव करना हो। आप किसी को रॉ का एजैंट कह दें, आई.एस.आई. का एजैंट कह दें। पाकिस्तान में तो ये भी बड़ा आसान है कि अगर कोई औरत है तो किरदार पर आप बात कर दें। मुझे रॉ और आई.एस.आई. का एजैंट बना दिया और पता नहीं क्या क्या। जितनी दफा मैं आती थी, बॉर्डर क्रास करती थी, मेरे सामान की 3 जगह पर स्क्रीनिंग होती थी और पूरी तरह से चैक किया जाता था कि मैं वहां से क्या ले आई। सारा रिकॉर्ड भी रखते थे। इनका अपना कोई नेरेटिव नहीं था तो इन्होंने कहा कि अरूसा के पीछे पड़ जाओ। आवाम की नजरें हटा दो। कैप्टन अमरेंद्र के नाम से ही ये लोग विधायक बने थे। पिछला इलैक्शन अमरेंद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया था, कांग्रेस के नाम पर नहीं। साढ़े चार साल में आपने ऊपर की मलाई खूब खाई, अब तक हिसाब देने का समय आया तो आपने कहा बाप-रे-बाप हमने तो कुछ किया नहीं है। हमने तो पैसे खूब कमाए हैं। फिर मुद्दों को डायवर्ट करने की कोशिश हुई। लोगों
को सबकुछ याद है कि उन्होंने क्या कुछ किया है और कुछ मेरी भी बद्दुआएं हैं।
Q. आपको ये लगता है कि ये केंद्रीय नेतृत्व में तय हुआ था कि रंधावा हो, सिद्धू हो बाजवा हो या कोई और इस तरह की बातें अमरेंद्र सिंह के खिलाफ करते थे और फिर बाद में जाकर वो आप तक बात करने लगे। जबकि आपका इसमें कोई मतलब नहीं था।
A. मैं इसे एक्सप्लेन करते-करते थक गई हूं। मैं समझती हूं कि पंजाब कांग्रेस लीडर्स इसके जिम्मेदार हैं। इनका अपना कोई पॉलिटिकल स्टंट नहीं है, इनकी कोई नेरेटिव नहीं है, जिसको ये लोगों को सेल कर सकते तो उन्होंने औरत के शोल्डर पर रखकर गन फायर की।
Q. क्या ये चुनाव कैप्टन वर्सेज अदर हो रहा है या कैप्टन साहब की वजह से इतना झालमेल हो गया है कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या होगा?
A. कैप्टन साहब का पार्टी छोडऩा और भाजपा के साथ अलाइंस करने से इस मुकाबले को एक नई डाइमैंशन दे दी गई है। वजह ये है कि कैप्टन साहब तो ठुकराए हुए, उनका दिल टूटा हुआ था, उन्हें कोई शोल्डर चाहिए था, इसलिए उन्होंने बीजेपी के साथ एलाइंस किया लेकिन बीजेपी भी ईक्वली क्लीन थी कि वो पंजाब में किस तरह अपना टर्म टू होल्ड बना पाए। बड़ी मुद्दतों से वो अकालियों के साथ अलाइंस कर रहे थे। अकालियों की भी जो खराबियां होती थी वो उनके जिम्मे लग जाती थी और कांग्रेस ने सिल्वर प्लेट में रखकर बीजेपी को अमरेंद्र सिंह डिलीवर कर दिया। ये सियासत एक और रूप ले गई है। मेरा एनालिसिस है कि बीजेपी को अनदेखी न करें, जो कन्फ्यूजन कांग्रेस ने फैलाई, अकाली दल अभी बैकफुट पर खेल रही है। किसान भी आम आदमी पार्टी और अकाली दल के वोट काटेंगे। हमें बीजेपी को इग्नोर नहीं करना चाहिए। हालांकि मैं बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की प्रशंसा करती हूं कि उसने पार्टी में नई रूंह फूंक दी सिद्वू को चैलेंज करके, फिर भी अकाली खोया वर्चस्व पाने में नाकाम है।
Q. आपका कहना है कि कैप्टन और बीजेपी का जो ढींढसा साहब के साथ गठबंधन है, वो काफी आगे तक जा सकता है जो अभी तक नहीं दिख रहा?
A. मैं कह रही हूं कि ये मर्ज करेगा। मैं ये नहीं कह सकती कि वो ट्रीट कर जाएंगे। आम आदमी पार्टी का तो मैंने कह दिया है कि वो अच्छा करेगी। मुझे लग रहा है कि ‘आप’ आवाम से मिल रही है। अंदर ही अंदर कुछ है।
Q. आप इसकी क्या वजह मानती हैं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ऊपर उठ रही है?
ठ्ठ लोगों ने सोचा कि हमने सबको आजमा लिया है तो इन्हें भी आजमा लें। दूसरी वजह ये है कि दिल्ली मॉडल केजरीवाल साहब आकर पेश करते हैं, वो मिस लीड कर रहे हैं। दिल्ली व पंजाब का मुकाबला, बहुत ही अलग है। दिल्ली और पंजाब की समस्याएं बहुत ही अलग हैं। दिल्ली एक अमीर लोगों को शहर है। उसमें कोर्पोरेट इतना कंट्रीब्यूट करता है कि किसी डिपार्टमैंट को इतना काम करने की जरूरत ही नहीं है, वो जो ये मॉडल आकर देते हैं वो मिस लीड करते हैं। इसी से पंजाब के लोग मिस लीड हो रहे हैं।
Q. चन्नी साहब के बारे में आपका क्या ख्याल है। वह दलित कम्युनिटी से आते हैं। उन्होंने ऐसे करने व दिखाने की कोशिश की कि वो परफॉर्मर हो सकते हैं, सिद्धू को उन्होंने पीछे कर दिया, आपका क्या कहना है?
A. मुझे ये बताएं कि 111 दिन में चन्नी साहब ने जो काम किया है वो नहीं हो सकता। सिस्टम क्या है कि एक प्रोग्राम में विजिट करते हैं। फिर उसका बजट होता है फिर वो वर्किंग होता है, ये ऐसे नहीं है कि कागज के टुकड़े में लिखे और नोटिफिकेशन निकाल दें। ये तो सारे का सारा उनका ड्रामा है। ये तो ड्रामा है कि किसी तरह हम जीत जाएं। चन्नी साहब दलित चेहरा होंगे लेकिन क्या सारे दलित चन्नी को ही वोट डालेंगे। दलित भाईचारे के वोट औरों के लिए भी हैं। सिर्फ चन्नी साहब के लिए ही नहीं हैं। ई.डी. की रेड के बाद उनकी इमेज और भी ज्यादा डैमेज हुई है। चन्नी साहब कहां से गरीब लगते हैं।