प्लेन क्रैश में क्यों नहीं टूटता ब्लैक बॉक्स? जानिए इसके पीछे का कारण
punjabkesari.in Sunday, Jun 15, 2025 - 01:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जब भी किसी विमान का बड़ा हादसा होता है, तो उसके अवशेषों में सिर्फ जली हुई धातु और टूटे हुए पुर्जे ही नजर आते हैं। लेकिन इन सबके बीच एक चीज़ अक्सर सुरक्षित मिलती है और वो है ब्लैक बॉक्स। सवाल उठता है कि जब पूरा जहाज चकनाचूर हो जाता है, तो ये छोटा-सा उपकरण आखिर कैसे बचा रहता है? इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है, क्यों ये इतना जरूरी होता है और कैसे इसे इतना मजबूत बनाया जाता है कि वो भीषण हादसों में भी सुरक्षित रह सके।
ब्लैक बॉक्स क्या है? सिर्फ एक डिवाइस नहीं, दो सिस्टम का मेल है
ब्लैक बॉक्स दरअसल एक नहीं, दो खास रिकॉर्डिंग डिवाइस का सेट होता है:
Cockpit Voice Recorder: यह कॉकपिट में पायलटों की बातचीत, अलार्म की आवाज, रेडियो कम्युनिकेशन और अन्य साउंड रिकॉर्ड करता है।
Flight Data Recorder: यह विमान की ऊंचाई, गति, इंजन की स्थिति, दिशा और सैकड़ों टेक्निकल पैरामीटर्स को रिकॉर्ड करता है।
इन दोनों को मिलाकर ही आम भाषा में "ब्लैक बॉक्स" कहा जाता है। हालांकि, इसका रंग काला नहीं बल्कि नारंगी होता है ताकि हादसे के बाद उसे आसानी से ढूंढा जा सके।
कहां होता है इसका स्थान और क्यों?
ब्लैक बॉक्स को विमान के पिछले हिस्से (टेल सेक्शन) में लगाया जाता है, क्योंकि हादसों के दौरान विमान का पिछला भाग तुलनात्मक रूप से कम क्षतिग्रस्त होता है। यही कारण है कि ब्लैक बॉक्स को वहां इंस्टॉल किया जाता है।
इतनी तबाही में ब्लैक बॉक्स क्यों नहीं होता खराब?
इस सवाल का जवाब छिपा है इसके डिज़ाइन और निर्माण में। ब्लैक बॉक्स को इस तरह तैयार किया जाता है कि वह लगभग किसी भी परिस्थिति को झेल सके:
➤ सुपर स्ट्रॉन्ग मटेरियल: इसका बाहरी खोल टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बना होता है, जो बहुत ही मजबूत और गर्मी प्रतिरोधक होता है।
➤ आग में टिकाऊ: यह 1100 डिग्री सेल्सियस तक की आग में भी लगभग 1 घंटे तक सही-सलामत रह सकता है।
➤ पानी और गहराई का असर नहीं: अगर विमान समंदर में गिरता है, तो ब्लैक बॉक्स 20,000 फीट गहराई तक पानी के दबाव को सहने में सक्षम होता है।
➤ अंदरूनी सुरक्षा परतें: इसमें थर्मल इंसुलेशन, शॉक एब्जॉर्बर और डाटा प्रोटेक्शन लेयर होती हैं, जो डेटा को हर संभव नुकसान से बचाती हैं।
ब्लैक बॉक्स कैसे ढूंढा जाता है?
हादसे के बाद मलबे में ब्लैक बॉक्स की तलाश शुरू होती है। इसमें एक खास अंडरवॉटर लोकेटर बीकन (ULB) होता है, जो अगर पानी में गिरा हो, तो 37.5 किलोहर्ट्ज़ पर अल्ट्रासोनिक सिग्नल भेजता है। यह सिग्नल 30 दिन तक लगातार चलता रहता है, जिससे सर्च ऑपरेशन को उसे ढूंढने में मदद मिलती है।
ब्लैक बॉक्स क्यों है इतना अहम?
किसी भी विमान दुर्घटना के बाद सबसे जरूरी सवाल यही होता है: आखिर हुआ क्या था? इसका जवाब ब्लैक बॉक्स के डेटा से ही मिलता है:
➤ पायलट ने आखिरी समय में क्या कहा?
➤ विमान में कोई तकनीकी खराबी आई थी?
➤ कोई अलार्म या वॉर्निंग एक्टिव हुई थी?
➤ कितनी ऊंचाई पर और किस गति से दुर्घटना हुई?
भविष्य की उड़ानों के लिए सबक बनता है डेटा
ब्लैक बॉक्स से मिले डेटा के आधार पर एयरलाइंस और एविएशन एजेंसियां यह तय करती हैं कि भविष्य में ऐसे हादसे न दोहराए जाएं। तकनीकी खामियों को सुधारा जाता है, पायलट ट्रेनिंग को बेहतर किया जाता है और सुरक्षा नियमों को और कड़ा बनाया जाता है।
जान बचाने से लेकर जानने तक का सफर तय करता है ब्लैक बॉक्स
भले ही विमान हादसे दर्दनाक होते हैं, लेकिन ब्लैक बॉक्स उन हादसों की तह तक पहुंचने का सबसे मजबूत जरिया है। यह न सिर्फ अतीत की घटनाओं को समझने में मदद करता है, बल्कि भविष्य को सुरक्षित बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है।