मोदी सरकार के सामने साल 2025 में विदेशी मोर्चे पर ये सबसे बड़ी चुनौतियाँ

punjabkesari.in Thursday, Jan 02, 2025 - 01:12 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भारत के लिए साल 2025 कूटनीतिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल, पड़ोसी देशों में अस्थिरता, और वैश्विक शक्तियों के बीच बढ़ते तनावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए कई कूटनीतिक चुनौतियाँ सामने आने वाली हैं। इस साल भारत कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मंचों की मेज़बानी करेगा, जिनमें क्वॉड नेताओं का शिखर सम्मेलन भारत-ईयू शिखर सम्मेलन और एससीओ शिखर सम्मेलन शामिल हैं। लेकिन इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बीच छह बड़ी कूटनीतिक चुनौतियाँ भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।

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1. अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव
साल 2025 में अमेरिका में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उनका शपथ ग्रहण समारोह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रित करने के साथ ही भारतीय कूटनीति को एक नई दिशा में चुनौती दे सकता है। भारत-अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं, लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद इन रिश्तों में नई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। खासकर, खालिस्तान समर्थक नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साज़िश और भारतीय बिजनेसमैन गौतम अदानी पर चल रहे आपराधिक मामले ने इन रिश्तों में तनाव बढ़ाया है। इसके अलावा, एच1-बी वीज़ा नीति पर ट्रंप का रुख भी भारतीयों के लिए एक नई चुनौती हो सकता है, क्योंकि इस वीज़ा को लेकर ट्रंप का विरोध पहले भी सामने आ चुका है।

2. कनाडा से रिश्तों को सुधारना
भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में लगातार तनावपूर्ण रहे हैं। कनाडा में सिख समुदाय के मुद्दे और खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के चलते इन दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है। साल 2025 में भारत के लिए यह जरूरी होगा कि वह कनाडा के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए। भारत की विदेश नीति को देखते हुए, कनाडा से रिश्तों में सुधार एक बड़ा कूटनीतिक दांव हो सकता है।

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3. चीन के साथ विश्वास की कमी
चीन के साथ भारत के रिश्ते हमेशा से ही उथल-पुथल भरे रहे हैं, खासकर साल 2020 में लद्दाख में सीमा विवाद के बाद से। साल 2025 में भी भारत और चीन के बीच विश्वास की कमी बनी रह सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन यात्रा करने का इरादा है, लेकिन चीन के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता और विश्वास की कमी को देखते हुए यह यात्रा चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

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4. रूस के साथ संतुलन
भारत और रूस के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक दबावों के कारण भारत को रूस के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत आना, हालांकि दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने का प्रयास हो सकता है, लेकिन पश्चिमी देशों के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों को ध्यान में रखते हुए यह एक कठिन संतुलन हो सकता है।

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5. बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन
पड़ोसी बांग्लादेश में आगामी चुनावों के बाद सत्ता परिवर्तन का जोखिम है। अगर वहां की राजनीति में कोई अस्थिरता या तख्तापलट होता है, तो इसका असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पड़ सकता है। भारत को बांग्लादेश में स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी कूटनीति को संभालना होगा, ताकि दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा, व्यापार, और अन्य मुद्दों पर सहयोग बना रहे।

6. मध्य पूर्व में अशांति
मध्य पूर्व में जारी इसराइल-हमास युद्ध और क्षेत्रीय अशांति भी भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती होगी। भारत को इस क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूती से बनाए रखना होगा, खासकर तेल आपूर्ति और रणनीतिक हितों के संदर्भ में। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि मध्य पूर्व में बढ़ती अस्थिरता उसके राष्ट्रीय हितों को प्रभावित न करे।
साल 2025 भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण साल हो सकता है। वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल, क्षेत्रीय अस्थिरता और शक्तियों के बीच तनाव भारत को कई कठिन कूटनीतिक निर्णयों के मोर्चे पर खड़ा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के लिए यह साल कूटनीतिक सूझबूझ और संतुलन बनाए रखने का समय होगा, जहां उन्हें वैश्विक संबंधों में भारत की स्थिति को और मजबूत करना होगा।
 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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