बड़ी खबर: दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगी पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी
punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2025 - 01:50 PM (IST)
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नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) ने रविवार को एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पार्टी ने अपनी विधायक दल की बैठक में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुन लिया है। इस फैसले से दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है, क्योंकि आतिशी को पार्टी के महत्वपूर्ण नेतृत्व में शामिल किया गया है।
AAP विधायक दल की बैठक में हुआ फैसला
रविवार को दिल्ली के पार्टी मुख्यालय पर आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी उपस्थित थे। बैठक में सभी विधायकों ने आम राय से आतिशी को विधायक दल का नेता चुना। यह निर्णय दिल्ली विधानसभा सत्र के पहले लिया गया था, जो सोमवार से शुरू हो रहा है। आतिशी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद, अब उन्हें विधानसभा में विपक्ष की भूमिका निभानी होगी। उनकी भूमिका इस सत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह सत्र बीजेपी द्वारा कई अहम मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।
AAP की हार की समीक्षा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिला, और इसके बाद पार्टी में समीक्षा का दौर जारी है। आम आदमी पार्टी अब अपनी हार के कारणों की समीक्षा कर रही है। पार्टी का मानना है कि चुनाव में हार के कारणों को समझने के लिए एक व्यापक ऑडिट किया जाएगा। पार्टी ने लोकसभा, विधानसभा, जिला और वार्ड स्तर के फ्रंटल संगठनों की भूमिका का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है। AAP के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि पार्टी अब नए सिरे से संगठन में सभी विंग्स का पुनर्गठन करेगी। पूरी दिल्ली में पार्टी संगठन को और मजबूत करने के लिए एक नई रणनीति तैयार की जाएगी।
बीजेपी और सत्ता पक्ष की भूमिका
दिल्ली विधानसभा सत्र की शुरुआत सोमवार से होने जा रही है। इस सत्र में बीजेपी की सरकार आम आदमी पार्टी के कार्यकाल के दौरान CAG द्वारा ऑडिट की गई रिपोर्टों को सदन में प्रस्तुत करेगी। गोपाल राय ने बीजेपी के बारे में कहा कि वह विपक्ष की भूमिका से बाहर निकलकर सत्ता पक्ष के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाई है। राय ने यह भी कहा कि बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद महिलाओं के लिए 2500 रुपए मासिक देने का वादा किया था, और यह गारंटी दी थी कि पहले कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव पारित होगा। हालांकि, पहली कैबिनेट बैठक हो चुकी है, लेकिन इस प्रस्ताव को पारित नहीं किया गया। गोपाल राय ने बीजेपी से इस वादे को पूरा करने की मांग की।